'बिना शर्त पति से माफी मांगें', IPS अधिकारी को सुप्रीम कोर्ट का आदेश; जानिए पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने एक आईपीएस अधिकारी को पूर्व पति और ससुराल वालों से बिना शर्त माफी मांगने का आदेश दिया है। यह आदेश आपराधिक मामलों से जुड़े मामले में सुनाया गया जो आईपीएस अधिकारी ने दायर किए थे। अदालत ने कहा कि आईपीएस के मामलों के कारण पति और ससुर को जेल में दिन बिताने पड़े।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की शीर्ष अदालत ने एक आईपीएस अधिकारी को अपने पूर्व पति और ससुराल के लोगों से बिना शर्त माफी मांगने को कहा है। अदालत ने यह आदेश महिला आईपीएस द्वारा पति और ससुराल के लोगों के खिलाफ दायर आपराधिक मामलों से जुड़े एक मामले में सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आईपीएस द्वारा दायर मामलों के कारण उसके पति को 109 दिन और ससुर को 103 दिन जेल में बिताने पड़े। अदालत ने कहा कि उन लोगों ने जो कुछ भी सहा है, उसकी भरपाई किसी तरह से नहीं की जा सकती। यह आदेश चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था मामला
दरअसल एक महिला आईपीएस अधिकारी ने अपने पति से तलाक और गुजारे भत्ते के लिए फैमिली कोर्ट में आवेदन दिया था। इसके अलावा उसने अपने पति और ससुराल के लोगों के खिलाफ अलग-अलग आपराधिक मामले भी दायर किए थे। उसके पति ने भी क्रॉस केस दर्ज कराए थे।
दोनों की तरफ से मामले को अपने न्याय क्षेत्र में ट्रांसफर करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि आईपीएस ने वैवाहिक विवाद के बाद अपने पति के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कराए थे। इसके बाद अदालत ने आदेश देते हुए सभी मामलों को रद कर दिया।
अखबार में छपेगी माफी
- दंपति 2018 से ही अलग रह रहे थे, इसलिए पीठ ने विवाह को भी भंग कर दिया और बेटी की कस्टडी आईपीएस को देते हुए कहा कि पति और ससुराल के लोग उससे मिल सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि आईपीएस और उसके माता-पिता बिना शर्त माफी मागेंगे और इसे एक प्रसिद्ध अंग्रेजी और हिंदी अखबार के नेशनल एडिशन में प्रकाशित कराया जाएगा।
- अदालत ने यह भी कहा कि यह माफीनामा कोर्ट के आदेश के तीन दिन के भीतर फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी प्रसारित किया जाएगा। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने पति को चेतावनी भी दी कि वह उसके माफी का किसी तरह से इस्तेमाल न करे।
- शीर्ष अदालत ने आईपीएस अपने पद और पावर का इस्तेमाल खुद या अपने किसी सहकर्मी के जरिए पति या ससुराल वालों के खिलाफ कोई नहीं कार्रवाई के लिए नहीं करेंगी। कोर्ट ने कहा कि इस माफीनामे का कानूनी अधिकारों, दायित्वों या परिणामों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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