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    सजा पूरी होने पर भी जेल में रहा शख्स, सुप्रीम कोर्ट ने MP सरकार को दिया मुआवजा देने का आदेश

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 06:40 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वह सोहन सिंह नामक एक व्यक्ति को 25 लाख रुपये का मुआवजा दे जिसने अपनी सजा पूरी करने के बावजूद लगभग पांच साल अधिक जेल में बिताए। कोर्ट ने इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का गंभीर उल्लंघन माना है। अदालत ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को यह पहचानने का भी निर्देश दिया।

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    मध्य प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मध्य प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वह उस व्यक्ति को 25 लाख रुपये का मुआवजा दे, जिसने अपनी पूरी सजा पूरी करने के बावजूद जेल में लगभग पांच अतिरिक्त वर्ष बिताए।

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    यह मामला सोहन सिंह उर्फ बबलू का है, जिसे 2004 में सागर जिले के खुरई में सत्र न्यायाधीश के समक्ष भारतीय दंड संहिता की धाराओं 376 (दुष्कर्म), 450 (घर में घुसपैठ) और 506-बी (आपराधिक धमकी) के तहत आरोपित किया गया था। उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, साथ ही उस पर 2,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था।

    एमपी हाई कोर्ट में दी गई चुनौती

    इस सजा को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। अक्टूबर 2007 में हाई कोर्ट ने उसकी अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए सजा को संशोधित किया। हाई कोर्ट ने कहा- ''सभी परिस्थितियों और रिकार्ड पर उपलब्ध साक्ष्यों को देखते हुए यह उचित होगा कि ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई सजा को सात साल किया जाए।''

    हालांकि, सजा में कमी के बावजूद सोहन सिंह को अतिरिक्त 4.7 वर्षों तक जेल में रहना पड़ा। उसे अपनी पूरी सजा पूरी करने के बावजूद केवल जमानत पर देर से रिहा किया गया।

    सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

    जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि इस मामले के तथ्य काफी चौंकाने वाले हैं। हम जानना चाहते हैं कि ऐसी गंभीर चूक कैसे हुई?

    कोर्ट ने इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया। पीठ ने यह भी कहा कि सोहन सिंह की अवैध हिरासत उसके व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का गंभीर उल्लंघन है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को पीड़ित को 25 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया।

    इसके साथ ही मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को यह पहचान करने के लिए कहा गया कि क्या और भी ऐसे कैदी हैं जो गलत तरीके से अपनी सजा से अधिक समय तक हिरासत में रहे हैं।

    (न्यूज एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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