'कुछ किसानों को जेल में बंद करो...', सुप्रीम कोर्ट ने Farmers के लिए क्यों कहा ऐसा?
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का मुख्य कारण पराली जलाना है जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि कुछ किसानों को जेल भेजने से दूसरों को सबक मिलेगा और पराली जलाने की आदत पर लगाम लगेगी। चीफ जस्टिस ने सरकार से सवाल किया कि सख्त कानूनी कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे। पंजाब सरकार ने बताया कि पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में हर साल अक्टूबर-नवंबर में जहरीली हवा का कहर बरपता है। इसकी एक बड़ी वजह पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना है। आज सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर सख्त रुख अपनाया है।
कोर्ट ने कहा कि कुछ किसानों को जेल भेजने से दूसरों को सबक मिलेगा और पराली जलाने की आदत पर लगाम लगेगी।
कोर्ट में चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने इस मामले पर गहरी नाराजगी जताई। इस मामले की एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने बताया कि किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए सब्सिडी और मशीनें दी गई हैं, मगर किसान बहाने बनाते हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ किसान कहते हैं कि उन्हें ऐसी जगह पर पराली जलाने को कहा जाता है, जहां सैटेलाइट नजर नहीं रखता। अपराजिता ने कोर्ट से कहा, "2018 से सुप्रीम कोर्ट ने कई आदेश दिए, लेकिन किसान सिर्फ लाचारी दिखाते हैं।"
'कानून तोड़ने की छूट नहीं'
चीफ जस्टिस ने सवाल उठाया कि आखिर क्यों सरकार इस मामले में सख्त कानूनी कदम नहीं उठा रही। उन्होंने कहा, "अगर कुछ लोगों को जेल भेजा जाए तो सही संदेश जाएगा। पर्यावरण बचाने की सच्ची मंशा है तो सजा के प्रावधान क्यों नहीं बनाए जाते?"
चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि किसान हमारे लिए खास हैं, क्योंकि वही हमें अन्न देते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे कानून तोड़ें।
'पराली जलाने की घटनाएं कम हुई'
पंजाब सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने कोर्ट को बताया कि पिछले कुछ सालों में पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं। उन्होंने कहा, "तीन साल में बहुत कुछ हासिल हुआ है और इस साल और बेहतर होगा।"
लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि ज्यादातर किसान छोटे हैं, और उन्हें जेल भेजने से उनके परिवार वालों का क्या होगा? इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, "हर किसी को नहीं, लेकिन संदेश देने के लिए ऐसा करना जरूरी है।"
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