'मानहानि को अपराध की कैटेगरी से बाहर करने का समय', सुप्रीम कोर्ट ने क्यों की ऐसी टिप्पणी?
सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की बात कही है। कोर्ट ने द वायर के खिलाफ जेएनयू की पूर्व प्रोफेसर अमिता सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट ने नोटिस जारी कर निचली अदालत के समन पर रोक लगा दी। मामले को राहुल गांधी के केस के साथ जोड़ा गया।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मानहानि से जुड़े एक मामले में सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि मानहानि को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का समय आ गया है। कोर्ट ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की पूर्व प्रोफेसर अमिता सिंह द्वारा ऑनलाइन समाचार पोर्टल द वायर के खिलाफ दाखिल किये गए मानहानि के मामले से संबंधित याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की।
इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए निचली अदालत से जारी समन पर भी अंतरिम रोक लगा दी है। साथ ही कोर्ट ने इस केस को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के मामले के साथ सुनवाई के लिए संलग्न करने का आदेश दिया। संभव है कि कोर्ट ने यह संदेश देने की कोशिश की कि आजकल आपराधिक मानहानि मामले की बाढ़ सी आ गई गई है। ये आदेश और टिप्पणी न्यायमूर्ति एमएम सुंद्रेश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने की।
याचिकाकर्ता की ओर से कपिल सिब्बल पेश हुए
सोमवार को याचिकाकर्ता संस्था की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पेश हुए। सिब्बल ने आपराधिक मानहानि के मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के लंबित केसों का भी जिक्र किया जिसमें राहुल गांधी ने विभिन्न व्यक्तियों द्वारा दाखिल आपराधिक मानहानि के मुकदमों में जारी समन के खिलाफ याचिकाएं दाखिल कर रखी हैं। इस पर कोर्ट ने इस मौजूदा मामले को भी राहुल गांधी की लंबित याचिकाओं के साथ सुनवाई के लिए संलग्न करने का आदेश दिया।
नये आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 में मानहानि को अपराध माना गया है। भारत उन कुछ गिने चुने देशों में है जहां मानहानि को क्रिमिनल अपराध माना गया है। वैसे ज्यादातर देशों में मानहानि के खिलाफ दीवानी उपचार ही प्राप्त हैं। सुप्रीम कोर्ट ने करीब एक दशक पहले 2016 में आईपीसी की धारा 499 की वैधता को बरकरार रखा था।
द वायर में छपे लेख से संबंधित है मामला
उस मामले में भाजपा नेता सुब्रामण्यम स्वामी, आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर आईपीसी की धारा 499 की वैधानिकता को चुनौती दी थी। उसमें मांग की गई थी कि मानहानि को क्रिमिनल अपराध नहीं माना जाना चाहिए। मौजूदा मामला जो वायर का सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है वह जेएनयू पर तैयार किये गए एक कथित डोजियर के बारे में द वायर में छपे लेख से संबंधित है।
यह मामला पहले भी सुप्रीम कोर्ट आया था और सुप्रीम कोर्ट ने उस समय पोर्टल के खिलाफ जारी समन रद कर दिया था और मजिस्ट्रेट से कहा था कि वह नये सिरे से समाचार लेख की जांच करने के बाद सम्मन जारी करने पर विचार करे। मजिस्ट्रेट ने इस वर्ष जनवरी में समाचार पोर्टल के पत्रकारों के खिलाफ फिर से सम्मन जारी किया। दिल्ली हाई कोर्ट ने गत 7 मई के आदेश में इसे बरकरार रखा था जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।