सिर्फ सलाह देने के लिए वकील को नहीं किया जाना चाहिए समन, सुप्रीम कोर्ट ने दिए साफ निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यदि कोई व्यक्ति केवल वकील के तौर पर काम कर रहा है तो जांच एजेंसियों को उसे कानूनी सलाह देने के लिए समन नहीं करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकार्ड एसोसिएशन ने इस मामले में अपनी दलीलें पेश की है।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि अगर कोई व्यक्ति केवल वकील के तौर पर काम कर रहा है, तो जांच एजेंसियों को उसे जांच के दायरे में आए मुवक्किल को कानूनी सलाह देने के लिए समन नहीं करना चाहिए।
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि अगर कोई वकील अपराध में मुवक्किल की सहायता कर रहा है, तो उसे समन किया जा सकता है।प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने जांच के दौरान मुवक्किलों का प्रतिनिधित्व करने या कानूनी सलाह देने के लिए जांच एजेंसियों द्वारा वकीलों को समन करने के बारे में स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
पीठ ने सुनी दलीलें
पीठ ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-आन-रिकार्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) की दलीलें सुनीं, जिनका प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह और अधिवक्ता विपिन नायर ने किया।
शुरुआत में एससीबीए के अध्यक्ष सिंह ने मनमाने ढंग से समन जारी करने से कानूनी पेशे पर पड़ने वाले प्रभाव पर ¨चता व्यक्त की। उन्होंने कहा, ''अगर मुवक्किलों को सलाह देने पर वकीलों को नियमित रूप से समन किया जाएगा, तो संवेदनशील आपराधिक मामलों में परामर्श देने की कोई भी हिम्मत नहीं करेगा।''
पीठ ने क्या संकेत दिए?
उन्होंने कहा कि सीबीआई ने जैसे सुरक्षा उपाय अपनाए हैं, वैसे उपायों को लागू करना चाहिए। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि किसी वकील को समन करने की अनुमति जिले के एसपी को देनी चाहिए और उससे पहले न्यायिक मजिस्ट्रेट को उसकी जांच करनी चाहिए।
पीठ ने संकेत दिया कि न्यायिक निगरानी से जांच के अतिक्रमण पर रोक लग सकती है। ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने वकीलों को केवल कानूनी सलाह देने के लिए समन नहीं करने की बात से सहमति जताई।
कहा कि यह पेशा खुद प्रविधान के तहत संरक्षित है। लेकिन केवल वकीलों को समन करने के लिए मजिस्ट्रेट की अनुमति और गैर-वकीलों के लिए नहीं, इससे अनुच्छेद-14 का उल्लंघन हो सकता है। उन्होंने कहा कि कोई भी समन जारी होने से पहले ईडी निदेशक दुरुपयोग से बचने के लिए व्यक्तिगत रूप से मामले की समीक्षा कर सकते हैं।
12 अगस्त को होगी अगली सुनवाई
सीएओआरए के वकील ने 'वर्ग विशेषाधिकार' के सिद्धांत पर जोर दिया और मुवक्किल-वकील गोपनीयता के कानूनी सिद्धांत का हवाला दिया। पीठ ने निर्देश दिया कि एससीबीए और एससीएओआरए के लिखित सुझाव तीन दिनों के भीतर सॉलिसिटर जनरल और अटार्नी जनरल को भेजे जाएं। मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी, तब केंद्र जवाब देगा।
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