Supreme Court: पूर्व छात्र होने के कारण सुप्रीम कोर्ट जज सेंट स्टीफेंस मामले की सुनवाई से हटे
St Stephens College की याचिका में दिल्ली हाई कोर्ट के 12 सितंबर के आदेश को चुनौती दी गई है जिसने स्नातक पाठ्यक्रमों में आवेदन करने वाले गैर-अल्पसंख्यक अभ्यर्थियों के लिए CUET-2022 के अंकों को शत प्रतिशत वेटेज देते हुए कालेज को नया प्रोस्पेक्टस जारी करने को कहा था।
नई दिल्ली, आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजय किशन कौल ने सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित प्रवेश मानकों को चुनौती देने वाली सेंट स्टीफेंस कालेज की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। उन्होंने कहा कि वह कालेज के छात्र रहे हैं और वर्तमान वातावरण में इस अदालत के लिए संवैधानिक मुद्दा उठाने वाले इस मामले की सुनवाई करना कठिन होगा।
याचिका में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है
जस्टिस कौल के साथ पीठ में जस्टिस अभय एस. ओका भी शामिल थे। पीठ ने आदेश दिया कि मामले को ऐसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए जिसमें जस्टिस कौल सदस्य न हों।
सेंट स्टीफेंस कालेज की याचिका में दिल्ली हाई कोर्ट के 12 सितंबर के आदेश को चुनौती दी गई है जिसने स्नातक पाठ्यक्रमों में आवेदन करने वाले गैर-अल्पसंख्यक अभ्यर्थियों के लिए सीयूईटी-2022 के अंकों को शत प्रतिशत वेटेज देते हुए कालेज को नया प्रोस्पेक्टस जारी करने को कहा था।
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साथ ही यह भी कहा था कि उनके प्रवेश के लिए कोई साक्षात्कार नहीं होगा। कालेज की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि विश्वविद्यालय सोमवार को शाम पांच बजे प्रवेश प्रक्रिया के बारे में फैसला करने वाला है। उन्होंने विश्वविद्यालय को कोई कदम नहीं उठाने के निर्देश देने की मांग की। इस पर सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जब तक अदालत मामले की सुनवाई नहीं कर लेती, विश्वविद्यालय कोई कदम नहीं उठाएगा।
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