दलबदल पर एक सप्ताह में फैसला लें या अवमानना का सामना करें, सुप्रीम कोर्ट क्यों हुआ नाराज, किसे जारी किया नोटिस?
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस में शामिल हुए बीआरएस के 10 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला न करने पर तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष को अवमानना नोटिस जारी किया। अदालत ने स्पीकर के निर्देशों का पालन न करने पर नाराजगी जताई और इसे घोर अवमानना करार दिया। अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दी, लेकिन समय बढ़ाने के अनुरोध पर नोटिस जारी किया। दलबदल मामलों में स्पीकर को कोई छूट नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट का नोटिस। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सत्तारूढ़ कांग्रेस में शामिल हुए भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के 10 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने के उसके निर्देश का पालन नहीं करने पर सोमवार को तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया।
31 जुलाई को प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष को बीआरएस के 10 विधायकों की अयोग्यता के मामले में तीन महीने के भीतर फैसला करने का निर्देश दिया था।
अदालत ने जताई कड़ी आपत्ति
शीर्ष अदालत ने सोमवार को बीआरएस नेताओं द्वारा दायर याचिकाओं पर स्पीकर और अन्य को नोटिस जारी करते हुए उसके पहले के निर्देशों का पालन नहीं करने को घोर अवमानना करार दिया। आईएएनएस के अनुसार, स्पीकर की निष्क्रियता पर कड़ी आपत्ति जताते हुए पीठ ने कहा- यह उन (विस अध्यक्ष) पर निर्भर है कि वह मामले पर निर्णय लेना चाहते हैं या इस न्यायालय की अवमानना का सामना करना चाहते हैं। यह अवमानना का गंभीर मामला है। स्पीकर अगले सप्ताह तक फैसला करें या अवमानना का सामना करें। यह उन्हें तय करना है कि वह अपना नया साल कहां मनाना चाहते हैं।
अदालत ने दी विधानसभा अध्यक्ष को छूट
हालांकि, अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष और अन्य को अगले आदेश तक व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दे दी। पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय की ओर से दायर एक अलग याचिका पर भी नोटिस जारी किया, जिसमें अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने के लिए आठ सप्ताह का और समय बढ़ाने का अनुरोध किया गया था।
विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय की ओर से वकील श्रवण कुमार के साथ पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और अभिषेक सिंघवी ने कहा कि उन्होंने समय-सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया है। एक वकील ने बताया कि चार अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई पूरी हो चुकी है और तीन मामलों में साक्ष्य दर्ज करने का काम पूरा हो चुका है। इस पर सीजेआई ने कहा-यह सुनवाई पूरी हो जानी चाहिए थी..यह घोर अवमानना है।
दलबदल मामलों में फैसला करते समय स्पीकर को कोई छूट नहीं
शीर्ष अदालत ने कहा कि संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करते समय विधानसभा अध्यक्ष एक न्यायाधिकरण के रूप में कार्य करते हैं। इसलिए उन्हें संविधान के तहत प्राप्त छूट नहीं मिलती है। संविधान की 10वीं अनुसूची दलबदल के आधार पर अयोग्यता के प्रविधानों से संबंधित है। मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।

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