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    दुष्कर्म पीड़िता की गर्भावस्था समाप्त करने को लेकर SC की तल्ख टिप्पणी, कहा- गुजरात HC ने अहम समय बर्बाद किया

    दुष्कर्म पीड़िता की गर्भावस्था को समाप्त करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने इस मामले में दुष्कर्म पीड़िता की नए सिरे से मेडिकल जांच करने का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान SC ने गुजरात हाई कोर्ट को भी फटकार लगाई है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में तत्कालता की भावना होनी चाहिए न कि इसे एक सामान्य मामला मानकर असुविधाजनक रवैया अपनाना चाहिए।

    By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Sat, 19 Aug 2023 12:41 PM (IST)
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    दुष्कर्म पीड़िता की गर्भावस्था समाप्त करने को लेकर SC की तल्ख टिप्पणी (Image: ANI)

    नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने आज एक विशेष बैठक में एक दुष्कर्म पीड़िता की गर्भावस्था को समाप्त करने की याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने पीड़िता के दोबारा मेडिकल जांच के आदेश दिए है और अस्पताल से 20 अगस्त तक रिपोर्ट मांगी है।

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    सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट को भी फटकार लगाई है। दरअसल, गुजरात हाई कोर्ट ने पीड़िता की गर्भावस्था को समाप्त करने की याचिका को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में, 'तत्कालता की भावना होनी चाहिए' न कि इसे एक सामान्य मामला मानकर 'असुविधाजनक रवैया' अपनाना चाहिए।

    बहुत समय हुआ बर्बाद

    न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट द्वारा शुरू में मामले को स्थगित करने में बहुत समय बर्बाद हुआ। शीर्ष अदालत ने इस मामले में गुजरात सरकार से जवाब मांगा है और मामले को सोमवार को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट करने से पहले दुष्कर्म पीड़िता की नए सिरे से मेडिकल जांच करने का आदेश दिया है।

    शीर्ष अदालत गुरुवार (17 अगस्त) को पारित गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली एक अपील पर सुनवाई कर रही थी। याचिका वकील विशाल अरुण मिश्रा के माध्यम से दायर की गई थी। 

    7 अगस्त को पीड़िता ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया

    याचिकाकर्ता के वकील ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि 25 वर्षीय महिला ने 7 अगस्त को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और मामले की सुनवाई अगले दिन हुई थी। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने 8 अगस्त को गर्भावस्था की स्थिति के साथ-साथ याचिकाकर्ता की स्वास्थ्य स्थिति का पता लगाने के लिए एक मेडिकल बोर्ड के गठन का निर्देश जारी किया था। रिपोर्ट 10 अगस्त को मेडिकल कॉलेज द्वारा प्रस्तुत की गई थी जहां उसकी जांच की गई थी।

    कितने दिन बर्बाद हो चुके हैं?

    शीर्ष अदालत ने कहा कि रिपोर्ट को उच्च न्यायालय ने 11 अगस्त को रिकॉर्ड पर लिया था, लेकिन 'अजीब बात' है, मामले को 12 दिन बाद यानी 23 अगस्त को सूचीबद्ध किया गया। याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ को बताया कि जब मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया था तब याचिकाकर्ता महिला गर्भावस्था के 26वें सप्ताह में थी। पीठ ने पूछा, '11 अगस्त को इसे 23 अगस्त तक के लिए रोक दिया गया। किस उद्देश्य से? तब से अब तक कितने दिन बर्बाद हो चुके हैं?' 

    क्या है गर्भावस्था को समाप्त करने की ऊपरी सीमा?

    मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) अधिनियम के तहत, गर्भावस्था को समाप्त करने की ऊपरी सीमा विवाहित महिलाओं, दुष्कर्म महिलाओं और अन्य कमजोर महिलाओं जैसे कि विकलांग और नाबालिगों सहित विशेष श्रेणियों के लिए 24 सप्ताह का समय होता है।