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    किशोरों के बीच सहमति से यौन संबंध मामले पर SC ने केंद्र से मांगा जवाब, जनहित याचिका पर हुई सुनवाई

    By AgencyEdited By: Mohammad Sameer
    Updated: Sat, 19 Aug 2023 05:30 AM (IST)

    जनहित याचिका में वैधानिक दुष्कर्म कानूनों की वैधता को चुनौती दी गई है जो 16 वर्ष से अधिक और 18 वर्ष से कम उम्र के किशोरों के बीच सहमति से यौन संबंध को इस आधार पर अपराध घोषित करते हैं कि ऐसे कृत्यों के लिए उनकी सहमति वैधानिक रूप से अमान्य है। पीठ ने केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय गृह मंत्रालय और अन्य वैधानिक निकायों को नोटिस जारी किया।

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    16 से 18 वर्ष के किशोरों के बीच यौन संबंधों के मामले में केंद्र से जवाब तलब (file photo)

    नई दिल्ली, एजेंसीः सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब तलब किया है जिसमें 16 से 18 वर्ष के किशोरों के बीच सहमति से यौन संबंधों अपराध की श्रेणी से बाहर करने के निर्देश देने की मांग की है।प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने वकील हर्ष विभोर सिंघल द्वारा दायर जनहित याचिका पर संज्ञान लिया।

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    पीठ ने केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय, गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय महिला आयोग सहित कुछ अन्य वैधानिक निकायों को नोटिस जारी किया। जनहित याचिका में वैधानिक दुष्कर्म कानूनों की वैधता को चुनौती दी गई है जो 16 वर्ष से अधिक और 18 वर्ष से कम उम्र के किशोरों के बीच सहमति से यौन संबंध को इस आधार पर अपराध घोषित करते हैं कि ऐसे कृत्यों के लिए उनकी सहमति वैधानिक रूप से अमान्य है।

    इसमें कहा गया है कि ऐसे किशोरों में शारीरिक, जैविक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक क्षमताएं, जोखिमों को जानने और समझने के लिए जानकारी को आत्मसात करने व उसका मूल्यांकन करने की क्षमता, सकारात्मक निर्णय लेने या विकल्प चुनने की स्वतंत्रता और निर्णयात्मक या शारीरिक स्वायत्तता होती है।