'अब तो अहंकार छोड़ दो...', सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तलाक का मामला और जज ने सुना दिया ये फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने एक दंपती को आपसी सहमति से तलाक दे दिया है और उनसे अपनी छोटी बच्ची की देखभाल करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि विवाह समाप्त होने के बाद अब उनका अहंकार भी खत्म हो जाना चाहिए। याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने तय किया कि बच्चा मां के पास रहेगा और पिता

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से तलाक मंजूर करते हुए एक दंपती का विवाह समाप्त कर दिया और उनसे अपने छोटी बच्ची की देखभाल करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि अब जब विवाह समाप्त हो गया है तो उनका अहंकार भी खत्म हो जाना चाहिए।
जस्टिस बीवी नागरत्ना व आर.महादेवन की खंडपीठ ने इस आदेश को पारित किया। दरअसल, दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से अपने तलाक के लिए एक संयुक्त याचिका दायर की।
पीठ ने कहा, ''अब कोई अहंकार नहीं होना चाहिए। अब कोई विवाह नहीं है। विवाह में अहंकार होता है। एक बार जब विवाह नहीं है तो अहंकार खत्म हो जाना चाहिए। अब बच्चे की देखभाल करें।''
सर्वोच्च न्यायालय उस महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था जो बंबई हाई कोर्ट द्वारा पारित एक अंतरिम आदेश के खिलाफ थी। दोनों पक्षों के वकीलों ने कहा कि अपील की प्रक्रिया के दौरान कई दौर की बातचीत के बाद उन्होंने कुछ शर्तों और नियमों के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए विवाह खत्म करने की मांग करने का निर्णय लिया।
पीठ ने उनके बच्चे की कस्टडी में यह संकेत दिया कि बच्चा मां के पास ही रहेगा और उससे मिलने के अधिकार पिता के पास होंगे, जैसा कि संयुक्त आवेदन में उल्लेखित है। पिता अपनी छोटी बेटी के लिए हर महीने 50 हजार रुपये का भुगतान करेगा। दोनों ने कहा कि वे संयुक्त आवेदन की शर्तों और नियमों का पालन करेंगे।
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(समाचार एजेंसी PTI के इनुपट के साथ)

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