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सुप्रीम कोर्ट ने जबरन धर्मांतरण मामले में आरोपी मौलवी को गिरफ्तारी से दी अंतरिम राहत, दिए ये निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने जबरन धर्मांतरण मामले में आरोपी मौलवी को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी है। मौलवी ने गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था जिसने पहले उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

By AgencyEdited By: Achyut KumarPublished: Fri, 13 Jan 2023 01:33 PM (IST)Updated: Fri, 13 Jan 2023 01:33 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने जबरन धर्मांतरण मामले में आरोपी मौलवी को गिरफ्तारी से दी अंतरिम राहत, दिए ये निर्देश
जबरन धर्मांतरण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मौलवी को गिरफ्तारी से दी अंतरिम राहत

नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने प्रलोभन देकर जबरन धर्म परिवर्तन कराने के आरोपी एक मौलवी को शुक्रवार को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी। जस्टिस एम आर शाह और सी टी रविकुमार की पीठ ने आरोपी वरवाया अब्दुल वहाब महमूद को 16 जनवरी से 28 जनवरी तक रोजाना सुबह 11 बजे संबंधित जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया।

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जांच अधिकारी के सामने पेश होने का निर्देश

पीठ ने कहा, ''आरोप और प्रत्यारोप पर जाने से पहले, याचिकाकर्ता को पूछताछ और जांच के लिए 16 जनवरी से 28 जनवरी के बीच सुबह 11 बजे जांच एजेंसी/अधिकारी के सामने पेश होने दें। इसके बाद मामले की गुण-दोष पर विचार किया जाएगा।'' शीर्ष अदालत ने कहा कि इसके बाद 13 फरवरी को मामले पर गुण-दोष के आधार पर विचार किया जाएगा।

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मौलवी ने गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को दी चुनौती

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि वरवाया एक इस्लामिक विद्वान हैं और बच्चों को पढ़ाने में शामिल हैं। मौलवी ने गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसने पहले उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

हिंदू परिवारों का कराया धर्मांतरण

प्राथमिकी के अनुसार, आरोपियों ने अन्य लोगों से वित्तीय सहायता और सहायता प्राप्त करने पर कथित रूप से लगभग 37 हिंदू परिवारों और 100 हिंदुओं को वित्तीय सहायता प्रदान करके धर्मांतरण किया और सरकार के धन से बने एक घर को 'इबादतगाह', पूजा स्थल में परिवर्तित कर दिया।

भरूच के आमोद पुलिस स्टेशन में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, उसके खिलाफ गुजरात धर्म स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 4 और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत आपराधिक साजिश रचने, वैमनस्य पैदा करने और आपराधिक धमकी देने के आरोप में अपराध दर्ज किए गए थे।

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