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    सीवरों की मैन्युअल सफाई पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, पीडब्ल्यूडी पर लगाया 5 लाख रुपए का जुर्माना

    Updated: Thu, 18 Sep 2025 11:45 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने मैनुअल तरीके से सीवर सफाई कराने पर दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। अदालत ने कहा कि पीडब्ल्यूडी ने न सिर्फ मैनुअल तरीके से सीवर की सफाई कराई बल्कि इस काम में नाबालिग का भी इस्तेमाल किया जो कि पिछले आदेश का उल्लंघन है।

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    सीवरों की मैन्युअल सफाई पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रतिबंध के बावजूद मैनुअल तरीके सीवर सफाई कराने पर कड़ा रुख अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों पर पांच लाख रुपये जुर्माना लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने न सिर्फ मैनुअल तरीके से सीवर की सफाई कराया बल्कि इस काम में नाबालिग का भी इस्तेमाल किया है जो कि उसके पिछले आदेश का उल्लंघन है।

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    जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने इसके साथ ही चेतावनी दी है कि यदि भविष्य में आदेश का दोबारा से उल्लंघन पाया जाता है तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। पीठ ने दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी को चार सप्ताह के भीतर जुर्माने की रकम राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के पास जमा करना का आदेश दिया है। पीठ ने पिछले माह सुप्रीम कोर्ट के सामने मैनुअल सीवर सफाई के काम को संज्ञान में लेते हुए पीडब्ल्यूडी से जवाब मांगा था।

    मैनुअल सीवर सफाई के लिए मजबूर किया गया

    इस मामले में न्यायमित्र नियुक्त किए गए वरिष्ठ अधिवक्ता के परमेश्वर ने पीठ को बताया कि अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की जरूरत है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2023 में पारित निर्देशों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया गया है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के बाहर जिन मजदूरों को बिना किसी सुरक्षा उपकरण के मैनुअल सीवर सफाई के लिए मजबूर किया गया, उनके नाबालिग भी शामिल है।

    वरिष्ठ अधिवक्ता ने इस काम में लगाए गए मजदूरों के नाम और पता भी सुप्रीम कोर्ट में पेश करने के साथ मैनुअल तरीके से सीवर सफाई की वीडियो भी पेश की गई। इस मामले में दिल्ली सरकार ने पीठ से कहा कि यह खुले नालों से गाद निकालने का काम था, जहां कोई जहरीली गैसें नहीं हैं। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता व न्यायमित्र के परमेश्वर ने कहा कि वह इस प्रथा का बचाव करने के सरकार के रुख से हैरान हैं।

    (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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