Waqf Law: 'वक्फ बाई यूजर खत्म करना मनमाना नहीं', सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया अंतरिम आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून 2025 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतरिम आदेश दिया है। कोर्ट ने वक्फ बाई यूजर को समाप्त करने को जायज ठहराया है और वक्फ पंजीकरण की अर्जी के साथ वक्फ डीड की प्रति लगाने के नियम को भी सही माना है।

माला दीक्षित, नई दिल्ली। वक्फ संशोधन कानून, 2025 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं में सबसे ज्यादा विरोध संशोधित कानून में वक्फ बाई यूजर यानी उपयोग के आधार पर वक्फ माने जाने को खत्म किए जाने का किया गया है। सुप्रीम कोर्ट से कानून पर अंतरिम रोक मांगने वालों की निगाहें इसी पर थीं कि कोर्ट वक्फ बाई यूजर पर क्या आदेश देता है। क्या वक्फ बाई यूजर के पंजीकरण की अनिवार्यता पर रोक लगाई जाएगी या फिर कोर्ट इस बारे में कोई और राहत देगा।
अब सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश आ गया है और कोर्ट ने वक्फ बाई यूजर को अलग से कोई अंतरिम राहत नहीं दी है। बल्कि कोर्ट ने अपने आदेश में नए संशोधित कानून में वक्फ बाई यूजर को समाप्त किए जाने को जायज ठहराया है। कहा, अगर विधायिका ने यह पाया कि वक्फ बाई यूजर की अवधारणा में बड़ी संख्या में सरकारी संपत्तियों का अतिक्रमण हो गया है और इस खतरे को रोकने के लिए वह उक्त प्रविधान को हटाने का कदम उठाती है, तो उस संशोधन को प्रथमदृष्टया मनमाना नहीं कहा जा सकता।
क्फ डीड की प्रति साथ लगाने के नियम को जायज ठहराया
शीर्ष अदालत ने वक्फ पंजीकरण की अर्जी देते वक्त वक्फ डीड की प्रति साथ लगाने के नियम को भी जायज ठहराया है। कोर्ट ने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने दलील दी थी कि बहुत से मामलों में वक्फ डीड उपलब्ध नहीं है। कोर्ट ने कहा, लेकिन यह दर्ज करने वाली बात है कि मूल वक्फ कानून में वक्फ पंजीकरण की अर्जी देने के लिए वक्फ डीड की प्रति संलग्न करना जरूरी नहीं था।
मूल वक्फ कानून में कहा गया था कि अगर ऐसी कोई वक्फ डीड नहीं हुई है या उसकी प्रति नहीं प्राप्त की जा सकती है तो भी पंजीकरण के लिए अर्जी दी जा सकती थी, उस अर्जी में बस वक्फ का पूरा ब्योरा जो मालूम हो, देना था जैसे कि वक्फ की उत्पत्ति कैसे हुई, उसकी प्रकृति क्या है और वक्फ का उद्देश्य क्या है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर मुतवल्ली ने 30 वर्ष के लंबे अंतराल में वक्फ के पंजीकरण के लिए अर्जी नहीं देना चुना तो अब वे यह नहीं कह सकते कि अब वक्फ पंजीकरण की अर्जी के साथ वक्फ डीड की प्रति लगाने के प्रविधान मनमाने हैं।
आंध्र प्रदेश के मामले का उल्लेख किया
कोर्ट ने कहा कि इसके साथ ही अगर विधायिका ने यह पाया है कि वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग हो रहा है और वह कानून में पंजीकरण की अर्जियों के साथ वक्फ डीड की प्रति लगाना जरूरी करती है, तो उसे मनमाना नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने इस संबंध में आंध्र प्रदेश के मामले का उल्लेख किया है जिसमें आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड ने हजारों एकड़ सरकारी जमीन वक्फ संपत्ति घोषित कर दी थी। आंध्र प्रदेश सरकार ने अधिसूचना को पहले हाई कोर्ट चुनौती दी, लेकिन हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट आया और सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की अपील स्वीकार करते हुए अधिसूचना रद की और घोषित किया कि वह जमीन सरकार की है।
कोर्ट ने कहा कि दुरुपयोग के ऐसे उदाहरणों को देखते हुए यदि विधायिका को लगता है कि वक्फ बाई यूजर की अवधारणा को समाप्त किया जाना चाहिए और इसे आगे की तिथि से लागू किया जाए, तो इसे प्रथम²ष्टया मनमाना नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने कहा, सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि वक्फ बाई यूजर प्रविधान की समाप्ति उस तिथि से प्रभावी होगी, जिस तिथि से यह कानून लागू होगा। इसलिए याचिकाकर्ताओं की इस दलील में कोई दम नहीं लगता कि वक्फ में निहित जमीन सरकार हड़प लेगी।
कोर्ट ने कहा कि इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि सरकार की संपत्ति, जनता यानी भारत के नागरिकों की संपत्ति है। सरकार अपने नागरिकों के लिए संपत्ति रखती है। किसी भी व्यक्ति को, जिसने ऐसी संपत्ति पर गलत कब्जा कर रखा है, उसे अपनी संपत्ति के रूप में दावा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। हालांकि कोर्ट ने कहा कि नामित अधिकारी द्वारा इस बात की जांच किए जाने के पहले कि संपत्ति सरकार की है या नहीं, और अधिकारी के इस बारे में सरकार को रिपोर्ट सौंपने से पहले, इस अंतरिम अवधि के दौरान उस संपत्ति को वक्फ संपत्ति नहीं माने जाने के प्रविधान प्रथमदृष्टया मनमाने लगते हैं।
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