नीतीश कटारा हत्याकांड: SC ने बढ़ाई विकास यादव की अंतरिम जमानत, 25 साल की हुई है सजा
सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश कटारा हत्याकांड में दोषी विकास यादव की अंतरिम जमानत एक सप्ताह के लिए बढ़ा दी है। विकास यादव ने शादी के लिए और जुर्माने की रकम का इंतजाम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से जमानत मांगी है। विकास यादव को 25 साल कैद की सजा हुई है जिसमें से 23 साल की सजा वह काट चुका है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नितीश कटारा हत्याकांड में दोषी विकास यादव की अंतरिम जमानत एक सप्ताह के लिए बढ़ा दी है। विकास यादव ने शादी के लिए और जुर्माने की 54 लाख की रकम का इंतजाम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से जमानत मांगी है। विकास यादव को नितीश कटारा की हत्या के जुर्म में 25 साल कैद की सजा हुई है जिसमें से 23 साल की सजा वह काट चुका है।
मंगलवार को न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और एजी मसीह की पीठ ने विकास यादव के वकील एस. गुरुकृष्ण कुमार और हेमेन्द्र जैलिया की दलीलें सुनने के बाद विकास यादव की अंतरिम जमानत एक सप्ताह के लिए बढ़ाते हुए सीजेआइ से आदेश लेकर मामले को जस्टिस एमएम सुंद्रेश की पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया।
26 अगस्त तक बढ़ी थी अंतरिम जमानत
जस्टिस दत्ता की पीठ ने मामले को जस्टिस सुंद्रेश की पीठ के समक्ष लगाने का आदेश इसलिए दिया क्योंकि गत 29 जुलाई को जस्टिस सुंद्रेश की अध्यक्षता वाली पीठ ने विकास यादव की सजा से माफी मांगने वाली रिट याचिका खारिज करते हुए उसे अपनी मांग हाई कोर्ट के समक्ष रखने की छूट दी थी इसके साथ ही कोर्ट ने विकास यादव की अंतरिम जमानत की अवधि 26 अगस्त तक बढ़ा दी थी।
सुप्रीम कोर्ट के 29 जुलाई के आदेश के बाद विकास यादव ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर आगे की सजा माफ करने की मांग की थी साथ ही कहा था कि पांच सितंबर 2025 को उसकी शादी है इसलिए उसे अंतरिम जमानत दी जाए।
SC ने दी थी अंतरिम जमानत
हाई कोर्ट ने सुनवाई 22 अगस्त तक स्थगित करते हुए कहा था कि विकास यादव को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी इसके अलावा उसकी 25 साल की कैद की सजा पर भी सुप्रीम कोर्ट ने ही मुहर लगाई थी और वहीं पुनर्विचार याचिका खारिज हुई थी, हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसे में जब मामले में सुप्रीम कोर्ट का अंतिम आदेश है तो हाई कोर्ट को सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है।
विकास यादव ने SC में दी चुनौती
हाई कोर्ट के इस आदेश को अब विकास यादव ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। मंगलवार को जस्टिस दत्ता और जस्टिस मसीह की पीठ ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि प्रथम दृष्टया हाई कोर्ट का यह मानना ठीक है कि उसे इस मामले में सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उसे अंतरिम जमानत दी थी। इसके बाद पीठ ने विकास की अंतरिम जमानत एक सप्ताह बढ़ाते हुए याचिका को जस्टिस सुंद्रेश की पीठ में सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया।
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