Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सिर्फ दिल्ली ही नहीं अन्य शहरों के प्रदूषण को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट चिंतित, 19 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई

    Updated: Mon, 16 Dec 2024 11:57 PM (IST)

    सोमवार को कोर्ट ने कचरा प्रबंधन के मामले में दिल्ली सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे पर असंतोष जताया। कहा कि इसमें कोर्ट के गत 11 नवंबर के ठोस कचरा प्रबंधन नियम 2016 के अनुपालन की बात नहीं है। हलफनामे में तो बेसिक आंकड़ा भी नहीं दिया गया है कि प्रति दिन कितना कचरा निकलता है। मामले की सुनवाई अब 19 दिसंबर को होगी।

    Hero Image
    वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई का दायरा बढ़ा दिया है। (फोटो सोर्स: जागरण)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई का दायरा बढ़ा दिया है। कोर्ट ने सोमवार को कहा कि प्रदूषण देश व्यापी समस्या है, इसलिए वह दिल्ली एनसीआर के अलावा अन्य शहरों के प्रदूषण पर भी सुनवाई की जाएगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में स्थिति है इसलिए कोर्ट की चिंता सिर्फ दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण को लेकर है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वायु प्रदूषण के मामले में सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने इन टिप्पणियों के साथ केंद्र सरकार से देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों के बारे में जानकारी मांगी है। पीठ ने कहा कि वह देश भर में प्रदूषण के मामले पर सुनवाई करेगा और ये सुनवाई चरणबद्ध तरीके से की जाएगी।

    19 दिसंबर को जब वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सुनवाई होगी

    कोर्ट ने ये बात तब कही जब न्यायमित्र वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह ने कहा कि पराली जलने का मामला अब पूरे देश में फैल गया है जो कि प्रदूषण का कारण है।कमिश्नर नियुक्त वकील ने भी बताया कि उसने दौरे के दौरान पाया कि दिल्ली एनसीआर का दायरा जहां समाप्त हो रहा है वहां प्रदूषण किया जा रहा है और वहां का धुंआ ही प्रदूषण करता है। कोर्ट ने कहा कि 19 दिसंबर को जब वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सुनवाई होगी तो अन्य शहरों के प्रदूषण पर भी विचार होगा। दूसरे शहरों में भी एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन जैसी व्यवस्था की जा सकती है।

    कोर्ट ने मुख्य सचिव को अगली सुनवाई पर वीसी में मौजूद रहने का दिया आदेश

    सोमवार को कोर्ट ने कचरा प्रबंधन के मामले में दिल्ली सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे पर असंतोष जताया। कहा कि इसमें कोर्ट के गत 11 नवंबर के ठोस कचरा प्रबंधन नियम 2016 के अनुपालन की बात नहीं है। हलफनामे में तो बेसिक आंकड़ा भी नहीं दिया गया है कि प्रति दिन कितना कचरा निकलता है। मामले को 19 दिसंबर को सुनवाई पर लगाते हुए पीठ ने कहा कि अगली तारीख पर दिल्ली के मुख्य सचिव वीडियो कॉनफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई में मौजूद रहेंगे।

    तभी दिल्ली के शहरी विकास विभाग के विशेष सचिव जो वीडियो कॉंफ्रेसिंग के जरिये सुनवाई में जुड़े थे, ने माफी मांगते हुए जरूरी आंकड़े पेश करने की बात कही। पीठ ने कहा कि सभी से उम्मीद की जाती है कि वे 11 नवंबर के आदेश का पालन करेंगे।

    विशेष सचिव ने कहा कि देरी के लिए क्षमा चाहते हैं, जल्दी ही ब्योरा दिया जाएगा। नाराज पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ये पूरी तरह लापरवाही है। आपको बताना होगा कि 11 नवंबर के आदेश के बाद आपने क्या किया। आपके मुख्य सचिव कोर्ट में पेश होंगे। कितने बार कोर्ट ऐसा करेगा। पिछले सप्ताह भी मुआवजे के मुद्दे पर कोर्ट ने उन्हें बुलाया था।

    कोर्ट जिम्मेदार अधिकार के खिलाफ कर सकता है कार्रवाई

    पीठ ने कहा कि अगर 11 नवंबर के आदेश के अनुपालन का हलफनामा दाखिल नहीं किया गया तो कोर्ट जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू कर सकता है। जबतक ऐसा नहीं किया जाएगा आप काम नहीं करेंगे। इसके बाद कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा में भी कचरा निस्तारण प्रबंधन पर 11 नवंबर के आदेश का अनुपालन पूछा। कोर्ट ने उनका हलफनामा देखकर कहा कि इसमें भी अनुपालन की पूरी बात नहीं है।

    पीठ ने ग्रेटर नोएडा अथारिटी से अगली सुनवाई पर बेहतर हलफनामा दाखिल कर अनुपालन की स्थिति बताने को कहा है। हालांकि ग्रेटर नोएडा अथारिटी की ओर से कहा गया कि जुलाई तक वह सारा कचरा निस्तारित करने की क्षमता में होगी।

    यह भी पढ़ें: दिल्ली-NCR में GRAP-4 लागू: स्कूल-कॉलेज, WFH और ऑड-ईवन को लेकर निर्देश जारी, कार-ट्रकों के लिए जानिए नियम