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    'सरकारी नौकरी के पद कम, कैंडिडेट ज्यादा', सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी; इस मामले में हाईकोर्ट का आदेश पलटा

    देश की शीर्ष अदालत ने सिविल परीक्षा में धांधली के आरोपियों की जमानत रद करते हुए कहा कि ऐसे काम से लोक प्रशासन कार्यपालिका में लोगों का विश्वास कम होता है। दरअसल राजस्थान हाई कोर्ट ने परीक्षा की पवित्रता से खिलवाड़ करने वाले एक मामले में दो आरोपियों को जमानत दे दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को रद कर दिया है।

    By Jagran News Edited By: Swaraj Srivastava Updated: Sat, 08 Mar 2025 05:50 PM (IST)
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    सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को रद कर दिया है (फोटो: एएनआई/फाइल)

    पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा कि देश में सरकारी नौकरियों की चाह रखने वालों की संख्या उपलब्ध नौकरियों से कहीं अधिक है। कोर्ट ने सिविल भर्ती परीक्षा की 'पवित्रता से खिलवाड़' करने के आरोपी दो व्यक्तियों को जमानत देने के राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को रद कर दिया है।

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    इसने कहा कि इस कृत्य से संभवत: कई अन्य लोग भी प्रभावित हुए, जिन्होंने नौकरी पाने की उम्मीद में ईमानदारी से प्रयास किया था। जस्टिस संजय करोल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि इस तरह के कृत्य से लोक प्रशासन और कार्यपालिका में लोगों का विश्वास संभवत: कम होता है।

    अदालत ने की अहम टिप्पणी

    पीठ ने कहा, 'वास्तविकता यह है कि भारत में सरकारी नौकरियों की चाह रखने वालों की संख्या उपलब्ध नौकरियों से कहीं अधिक है। चाहे जो भी हो, प्रत्येक नौकरी जिसमें निर्धारित परीक्षा और/या साक्षात्कार प्रक्रिया के साथ स्पष्ट रूप से परिभाषित प्रवेश प्रक्रिया है, उसे केवल उसी के अनुसार भरा जाना चाहिए।'

    पीठ ने यह भी कहा कि भर्ती प्रक्रिया में पूर्ण ईमानदारी लोगों में इस तथ्य के प्रति विश्वास पैदा करती है कि कतिपय पदों के वास्तविक हकदार ही ऐसे पदों पर नियुक्त किए गए हैं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार द्वारा प्रदेश के हाईकोर्ट के पिछले साल मई के आदेश को चुनौती देने वाली अपीलों पर अपना फैसला सुनाया।

    हाईकोर्ट ने दी थी जमानत

    • हाईकोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और राजस्थान लोक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2022 के प्रविधानों के तहत कथित अपराधों के लिए दर्ज एफआईआर के संबंध में दो आरोपियों को जमानत दे दी थी।
    • एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने सहायक अभियंता सिविल (स्वायत्त शासन विभाग) प्रतियोगी परीक्षा-2022 की 'पवित्रता' के साथ खिलवाड़ किया था। एफआईआर में दावा किया गया है कि उनमें से एक अभ्यर्थी की जगह एक अन्य व्यक्ति कथित तौर पर डमी कैंडिडेट के रूप में परीक्षा में उपस्थित हुआ था।
    • इसमें यह भी आरोप लगाया गया कि अटेंडेंस शीट के साथ छेड़छाड़ की गई थी और मूल प्रवेश पत्र पर किसी अन्य व्यक्ति की फोटो चिपका दी गई थी। सात मार्च को दिए गए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने उल्लेख किया कि दोनों आरोपियों ने पहले ट्रायल कोर्ट का रुख किया था, जिसने उनकी संबंधित जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था।

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