सुप्रीम कोर्ट में हिंदी के उपयोग पर जनहित याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने वह जनहित याचिका खारिज कर दी है जिसमें सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्टो में कामकाज की आधिकारिक भाषषा हिंदी को बनाए जाने के लिए संविधान संशोधन के केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वह जनहित याचिका खारिज कर दी है जिसमें सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्टो में कामकाज की आधिकारिक भाषषा हिंदी को बनाए जाने के लिए संविधान संशोधन के केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई है। कोर्ट ने याचिका को विचार के अयोग्य बताते हुए याचिकाकर्ता वकील पर एक लाख रपए का जुर्माना लगा दिया।
प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील शिव सागर तिवारी द्वारा दायर याचिका कानून प्रक्रिया का दुरपयोग और न्यायिक समय की बर्बादी है। इसलिए उन पर एक लाख रपए का जुर्माना लगाना उचित है। जब वकील ने कहा कि वे एक हजार रपए भी चुकाने की स्थिति में नहीं हैं तो पीठ ने उनसे पूछा, 'आपने इस तरह की याचिका क्यों दाखिल की?, आप कोर्ट के समय की बर्बादी क्यों कर रहे हैं?' यह मामला उस पीठ के समक्ष आया था जिसके अध्यक्ष पूर्व प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू थे। पीठ ने 2014 में नोटिस जारी किया था।
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याचिका खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि भारतीय संविधान लागू होने के पहले 15 साल के लिए अंग्रेजी का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी। बाद में इसे कानून के जरिए ब़़ढाया जा सकता था। केंद्र की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वी. मोहन ने कहा कि आधिकारिक भाषषा कानून के जरिए अंग्रेजी के उपयोग को अधिकृत किया गया है। इसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपए जुर्माने का फैसला वापस ले लिया।
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