Hate Speech: भड़काऊ भाषणों पर रोक लगाने की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सही हो सकता है माहौल खराब होने का दावा
याचिकाकर्ता हरप्रीत मनसुखानी ने सुप्रीम कोर्ट से भड़काऊ भाषणों पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि भड़काऊ भाषणों पर रोक लगाने की जरूरत है क्योंकि वे देश में माहौल दूषित कर रहे हैं और सरकारी अधिकारी भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

नई दिल्ली, आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता का यह दावा सही हो सकता है कि भड़काऊ भाषणों पर रोक लगाने की जरूरत है क्योंकि वे देश में माहौल दूषित कर रहे हैं। बता दें कि प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित और जस्टिस एस. रविंद्र भट की पीठ देश में अल्पसंख्यक समुदायों के विरुद्ध बढ़ते भड़काऊ भाषणों को लेकर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
सरकारी अधिकारी नहीं कर रहे कोई कार्रवाई
याचिकाकर्ता हरप्रीत मनसुखानी ने व्यक्तिगत तौर पर पेश होकर आरोप लगाया कि ऐसे भाषणों के विरुद्ध सरकारी अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। इस पर पीठ ने कहा कि शायद याचिकाकर्ता के पास यह कहने का हर उचित आधार है कि इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है।

हिदूं राष्ट्र बनाने के लिए दिए जा रहे भड़काऊ भाषण
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि 2024 के आम चुनावों से पहले भारत को हिदूं राष्ट्र बनाने के लिए भड़काऊ भाषण दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भड़काऊ भाषण लाभ का कारोबार बन गया है। एक पार्टी ने 'कश्मीर फाइल्स' नामक फिल्म का वित्तपोषण किया और बाद में उसे कर-मुक्त कर दिया।
नवंबर में फिर होगी सुनवाई
जब याचिकाकर्ता ने उल्लेख किया कि शीर्ष अदालत की एक अन्य पीठ ने तहसीन पूनावाला फैसले के अमल को लेकर स्थिति रिपोर्ट मांगी है तो सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह इस मुद्दे पर अस्पष्ट विवरण देने के बजाय भड़काऊ भाषणों की विशिष्ट घटनाएं बताए। मामले में अगली सुनवाई नवंबर में होगी।
हाल ही में दिल्ली में दिए गए थे भड़काऊ बयान
बता दें कि हाल ही में दिल्ली के सुंदर नगरी में मनीष नामक युवक की नृशंसा हत्या के विरोध में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की तरफ से बुलाई गई आक्रोश सभा में भाजपा के पश्चिमी दिल्ली से सांसद प्रवेश वर्मा ने काफी तल्ख बयान दिए थे। इस सभा में कई संतो ने भी तल्ख बयान दिए थे।

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