PC Act तहत लोक सेवक को दोषी ठहराने के लिए रिश्वत की मांग का प्रत्यक्ष सबूत आवश्यक नहीं: SC
लोक सेवक को दोषी ठहराने के लिए रिश्वत की मांग का प्रत्यक्ष सबूत आवश्यक नहीं है। परिस्थितिजन्य सबूत के माध्यम से ऐसी मांग को साबित किया जा सकता है। मृत्यु या अन्य कारणों से शिकायतकर्ता का प्रत्यक्ष साक्ष्य उपलब्ध ना होने पर भी उसे दोषी ठहराया जा सकता है।

नई दिल्ली, एएनआई। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भ्रष्टाचार (Corruption) के मामले में कहा है कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत एक लोक सेवक को दोषी ठहराने के लिए रिश्वत की मांग का प्रत्यक्ष सबूत आवश्यक नहीं है और परिस्थितिजन्य सबूत के माध्यम से ऐसी मांग को साबित किया जा सकता है। मृत्यु या अन्य कारणों से शिकायतकर्ता का प्रत्यक्ष साक्ष्य उपलब्ध ना होने पर भी पीसी अधिनियम के तहत लोक सेवक को दोषी ठहराया जा सकता है।
इस बात की है अनुमति
संविधान पीठ ने कहा कि शिकायतकर्ता के साक्ष्य/अवैध संतुष्टि की मांग के प्रत्यक्ष या प्राथमिक साक्ष्य के अभाव में अभियोजन पक्ष की तरफ से प्रस्तुत अन्य साक्ष्यों के आधार पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(2, धारा 7 और धारा 13(1)(डी) के तहत लोक सेवक के अपराध का निष्कर्ष निकालने की अनुमति है।
Supreme Court’s Constitution bench holds that direct evidence of demand of bribe by a public servant is not necessary to convict him under the Prevention of Corruption Act & it can also be proved through circumstantial evidence when there is no direct evidence against him or her. pic.twitter.com/PqdTNB66gf
— ANI (@ANI) December 15, 2022
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