'दलबदल कानून की संसद करे समीक्षा', सुप्रीम कोर्ट ने की अहम टिप्पणी; तेलंगाना विधानसभा से जुड़ा है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने दलबदलू नेताओं पर स्पीकर द्वारा कार्यवाही में देरी पर चिंता जताई है। कोर्ट ने तेलंगाना के स्पीकर को विधायकों के खिलाफ अयोग्यता कार्यवाही तीन महीने में निपटाने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि संसद को विचार करना चाहिए कि दलबदल के आधार पर अयोग्यता तय करने का कार्य स्पीकर को सौंपना उचित है या नहीं।

माला दीक्षित, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर दलबदलू नेताओं पर कार्यवाही में स्पीकर द्वारा अनुचित देरी किये जाने पर चिंता जताई है। शीर्ष अदालत ने गुरुवार को दिए एक अहम फैसले में कहा है कि संसद को विचार करना चाहिए कि कि दलबदल के आधार पर अयोग्यता तय करने का महत्वपूर्ण कार्य स्पीकर या अध्यक्ष को सौंपने की व्यवस्था, राजनीतिक दलबदल से प्रभावी ढंग से निपटने के उद्देश्य की पूर्ति कर रही है या नहीं।
कोर्ट ने तेलंगाना में विधानसभा स्पीकर को 10 विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता कार्यवाही तीन महीने में निपटाने को कहा है। फैसले की खास बात है कि इसमें स्पीकर के लिए अयोग्यता कार्यवाही निपटाने की समय सीमा तय की गई है। यह मामला तेलंगाना में बीआरएस के विधायकों के कांग्रेस पार्टी में चले जाने पर उनकी अयोग्यता की मांग वाली याचिकाओं से जुड़ा था।
तेलंगाना हाई कोर्ट का आदेश रद
प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने तेलंगाना के स्पीकर को जल्दी से जल्दी और अधिकतम तीन महीने में अयोग्यता याचिकाएं निपटाने का निर्देश देते हुए कहा कि इस मामले में स्पीकर को कोई भी आदेश न देने से मूल उद्देश्य ही निष्फल हो जाएगा जिसके लिए संविधान की दसवीं अनुसूची के प्रविधान लाए गए थे।
पीठ ने कहा कि विधानसभा के कार्यकाल के दौरान अयोग्यता याचिकाओं को लंबित रखकर ऑपरेशन सफल रहा , लेकिन मरीज की मृत्यु हो गई जैसी स्थिति की अनुमति नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने अपीलें स्वीकार करते हुए तेलंगाना हाई कोर्ट की खंडपीठ का 22 नवंबर 2024 का वह आदेश रद कर दिया है जिसमे खंडपीठ ने स्पीकर को चार सप्ताह में अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई करने का शिड्यूल तय करने के एकलपीठ के आदेश को खारिज कर दिया था।
तेलंगाना विधानसभा के स्पीकर को निर्देश
- सुप्रीम कोर्ट ने खंडपीठ के एकलपीठ का आदेश रद करने के फैसले को गलत ठहराते हुए कहा कि खंडपीठ को उसमें दखल नहीं देना चाहिए था क्योंकि एकलपीठ ने सिर्फ स्पीकर को चार सप्ताह में अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई का शिड्यूल तय करने का निर्देश दिया था, उसने स्पीकर को तय समय में अयोग्यता याचिकाएं निपटाने का आदेश नहीं दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना विधानसभा स्पीकर ने लगभग सात महीने तक याचिकाओं पर नोटिस तक जारी नहीं किया।
- शीर्ष अदालत ने तेलंगाना विधानसभा के स्पीकर को तीन महीने में अयोग्यता याचिकाओं को निपटाने का आदेश देते हुए यह भी कहा है कि अगर विधायक टालमटोल की कोई रणनीति अपनाते हैं तो उनके विरुद्ध प्रतिकूल निष्कर्ष निकाला जा सकता है। साथ ही फैसले में संविधान के 52वें संशोधन के जरिए दलबदल विरोधी कानून को शामिल करने के समय संसद में हुई बहस का जिक्र किया है। फैसले में कानून के उद्देश्य को उद्धत किया गया है जिसमें कहा गया था कि राजनीतिक दलबदल की बुराई राष्ट्रीय चिंता का विषय रही है।
- अगर इस पर लगाम नहीं लगाई गई तो यह हमारे लोकतंत्र की नींव और उसे बनाए रखने वाले सिद्धांतों को ही कमजोर कर सकती है। चीफ जस्टिस ने फैसला पढ़ते समय कानून के उद्देश्य में दी गई इन पंक्तियों का जिक्र किया। हालांकि कोर्ट ने संसद से स्पीकर को दिए गए अयोग्यता तय करने के कार्य और मौजूदा तंत्र की समीक्षा करने को जरूर कहा है लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि इस कोर्ट के पास कोई सलाह देने का क्षेत्राधिकार नहीं है, यह तय करना संसद का काम है।
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