'पहाड़ी राज्यों पर मंडरा रहा है खतरा...', मानसून में तबाही पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगी रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कमजोर होते हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र पर चिंता जताई है। मानसून में भारी बारिश के कारण हिमाचल प्रदेश में गंभीर प्रभाव पड़ा है जिससे जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश को 28 अक्टूबर तक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया है जिसमें आपदाओं के कारण जलवायु परिवर्तन नियंत्रण सड़कों का डेटा और खनन जैसे मुद्दे शामिल हों

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मानसून के दौरान पहाड़ी राज्यों में भारी तबाही देखने को मिली। जम्मू कश्मीर से लेकर हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश ने खूब तांडव मचाया। पिछले कुछ समय में भूस्खलन, फ्लैश फ्लड्स और बाढ़ जैसे हालात आम हो गए थे। इस आपदा में कई लोगों की मौत हो गई। वहीं, अब सुप्रीम कोर्ट ने कमजोर हो रहे हिमालयन इकोसिस्टम पर चिंता व्यक्त की है।
पहाड़ी राज्यों में मानसून की बारिश का कई हिल स्टेशनों पर भी बुरा असर पड़ा। खासकर हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बादल फटने के कारण हजारों लोगों की जिंदगियां प्रभावित हुईं।
कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, "इस बार मानसून के दौरान तेज बारिश ने हिमाचल प्रदेश के कमजोर पारिस्थितिक तंत्र पर गंभीर प्रभाव डाला है। इससे न सिर्फ कई लोगों की जान चली गई बल्कि संपत्ति को भी भारी नुकसान हुआ है।"
कोर्ट के अनुसार,
यह इस बात का सबूत है कि हिमाचल प्रदेश समेत सभी पहाड़ी राज्यों पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
28 अक्टूबर तक मांगी रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश को नाजुक पारिस्थितिकी और पर्यावरणीय स्थितियों के कारण बताते हुए विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया है। इन आपदाओं के पीछे क्या वजह है? इस रिपोर्ट में भूकंप, भूस्खलन के कारण, घटते जंगल, पेड़ लगाने, जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने, सड़कों का डेटा जुटाने, खनन और पर्यटन से जुड़े प्रोजेक्ट जैसी चीजें भी शामिल करने के लिए कहा गया है।
इस मामले की अगली तारीख 28 अक्टूबर है। हिमाचल प्रदेश को 28 अक्टूबर तक रिपोर्ट तैयार करना होगा।
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