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    सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस शेखर कुमार यादव को किया तलब, विवादास्पद बयान के लिए हो सकती है पेशी

    Updated: Sun, 15 Dec 2024 07:00 PM (IST)

    जस्टिस शेखर कुमार यादव को जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सामने पेश होना होगा। शीर्ष अदालत ने बयानों पर ध्यान देते हुए इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट से रिपोर्ट मांगी है। सूत्रों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश शेखर कुमार यादव द्वारा दिए गए भाषण की अखबारों में प्रकाशित रिपोर्टों पर ध्यान दिया है।

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    सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस शेखर कुमार यादव को किया तलब (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। Supreme Court News: विश्व हिंदू परिषद के समारोह में विवादास्पद बयान देने वाले जस्टिस शेखर कुमार यादव अपना रुख स्पष्ट करने के लिए जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सामने पेश होंगे। शीर्ष अदालत ने बयानों पर ध्यान देते हुए इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट से रिपोर्ट मांगी है।

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    एक आधिकारिक बयान में कहा गया, "सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश शेखर कुमार यादव द्वारा दिए गए भाषण की अखबारों में प्रकाशित रिपोर्टों पर ध्यान दिया है। हाईकोर्ट से ब्योरा मंगवाया गया है।" सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम जिस न्यायाधीश के खिलाफ किसी विवादास्पद मुद्दे पर हाई कोर्ट से रिपोर्ट मांगती है तो उन्हें मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के समक्ष अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाता है।

    सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों ने बताया कि जस्टिस शेखर कुमार यादव को न्यायिक नीति की सीमा पार करने के आरोपों के खिलाफ अपना पक्ष रखने का मौका मिल सकता है। आठ दिसंबर को आयोजित विहिप के एक समारोह में जस्टिस यादव ने कहा था कि समान नागरिक संहिता का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, लैंगिक समानता और पंथ निरपेक्षता को बढ़ावा देना है। उनका यह बयान इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गया था। इसमें विपक्षी नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने जस्टिस यादव के बयान पर सवाल उठाते हुए भाषण को घृणा करार दिया।

    जज के आचरण की इन हाउस जांच हो

    वकील और कैंपेन फार ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफा‌र्म्स के संयोजक प्रशांत भूषण ने मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) संजीव खन्ना को एक चिट्ठी लिखी। उन्होंने सीजेआइ से इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश के आचरण की इन-हाउस जांच की मांग की। उन्होंने दावा किया कि जज ने न्यायिक नैतिकता और निष्पक्षता और पंथनिरपेक्षता के संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन किया।

    सुप्रीम कोर्ट से कार्रवाई की मांग आठ दिसंबर को माकपा नेता वृंदा करात ने भी सीजेआइ को चिट्ठी लिखकर जस्टिस यादव के भाषण को उनकी शपथ का उल्लंघन बताया। उन्होंने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से कार्रवाई की मांग की। बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने हाई कोर्ट के न्यायाधीश के बयान की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज से अपने बयान वापस लेने और माफी मांगने के लिए कहा।

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