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    बंगाल चुनाव के बाद हिंसा का मामला: आरोपियों की जमानत को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद, दो हफ्ते में करना होगा सरेंडर

    Updated: Fri, 30 May 2025 10:00 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा के आरोपियों की जमानत रद्द कर दी। कोर्ट ने कहा कि भाजपा का समर्थन करने के कारण शिकायतकर्ता के घर पर हमला किया गया और उनकी पत्नी के साथ छेड़छाड़ की गई। अदालत ने इसे लोकतंत्र पर गंभीर हमला बताया। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की अपील पर यह फैसला सुनाया।

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    बंगाल चुनाव हिंसा सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों की जमानत रद्द की। (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। बंगाल में मई 2021 में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद हुई हिंसा के आरोपियों को दी गई जमानत सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रद कर दी। कोर्ट ने कहा कि भाजपा का समर्थन करने के कारण चुनाव परिणाम के दिन शिकायतकर्ता के घर पर हमला किया गया। इसका एकमात्र उद्देश्य बदला लेना था।

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    शिकायतकर्ता की पत्नी के साथ छेड़छाड़ की गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह घिनौना अपराध लोकतंत्र की जड़ों पर गंभीर हमले से कम नहीं है। शीर्ष अदालत ने सीबीआई की दो अपील पर अपना फैसला सुनाया, जिसमें मामले में कुछ आरोपितों को जमानत देने के कलकत्ता हाई कोर्ट के अलग-अलग आदेशों को चुनौती दी गई थी।

    इन आरोपियों की जमानत की गई रद

    जिन आरोपियों की जमानत रद की गई है उनमें शेख जमीर, शेख नुराई, शेख अशरफ शामिल हैं। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि हमें लगता है कि इस मामले में आरोप इतने गंभीर हैं कि वे अदालत के अंतरात्मा को झकझोर देते हैं। जिस तरीके से घटना को अंजाम दिया गया, उससे आरोपियों के प्रतिशोधी रवैये और विपक्षी पार्टी के समर्थकों को किसी भी तरह से दबाने या डराने के उनके मकसद का पता चलता है।

    'गैरकानूनी तरीके से भीड़ एकत्र कर किया गया हमला'

    पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह साबित करने के लिए साक्ष्य मौजूद है कि आरोपियों ने गैरकानूनी तरीके से भीड़ इकट्ठा की और शिकायतकर्ता के घर पर हमला किया, वहां तोड़फोड़ की और घर का सामान लूटा। पीठ ने कहा कि हमें लगता है कि अगर आरोपियों को जमानत पर रहने दिया जाता है, तो निष्पक्ष और स्वतंत्र सुनवाई होने की कोई संभावना नहीं है।

    शीर्ष अदालत ने आरोपियों को दो सप्ताह के भीतर निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। पीठ ने निचली अदालत से छह महीने के भीतर मुकदमे का निस्तारण करने का प्रयास करने को कहा।

    दो मई 2021 को गिरोह ने किया था हमला

    प्राथमिकी के अनुसार, यह घटना दो मई 2021 को हुई थी। शिकायतकर्ता और कुछ अन्य ग्रामीणों ने विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा के लिए प्रचार किया, जिससे सत्तारूढ़ सरकार के समर्थकों का गुस्सा भड़क गया था। चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद एक गिरोह ने शिकायतकर्ता के घर की ओर बम फेंकना शुरू किया और उसे और उसके परिवार के सदस्यों पर हमला किया।

    शिकायतकर्ता की पत्नी के साथ छेड़छाड़ की गई। महिला ने अपनी रक्षा के लिए अपने ऊपर केरोसिन का तेल डाल लिया और धमकी दी कि वह आत्मदाह कर लेगी, जिसके बाद अपराधी वहां से भाग गए। पीठ ने बंगाल के गृह सचिव और राज्य के पुलिस महानिदेशक से शिकायतकर्ता और सभी अन्य महत्वपूर्ण गवाहों को उचित सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

    पुलिस ने दर्ज नहीं की शिकायत

    शिकायतकर्ता ने अगले दिन पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत दर्ज कराने का प्रयास किया, लेकिन अधिकारी ने उसे सलाह दी कि वह अपने और अपने परिवार की जान बचाने के लिए गांव छोड़ दे। पीठ ने कहा कि उसे अवगत कराया गया था कि बंगाल में चुनाव परिणामों के बाद इसी तरह की कई घटनाएं हुईं और स्थानीय पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया।

    हाई कोर्ट ने अगस्त 2021 में पारित अपने आदेश में सीबीआइ को उन सभी मामलों की जांच करने का निर्देश दिया था, जहां आरोप हत्या या महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म या दुष्कर्म के प्रयास से संबंधित अपराध से जुड़े थे। सीबीआई ने दिसंबर 2021 में शिकायतकर्ता के घर पर हुई घटना से संबंधित प्राथमिकी दर्ज की। आरोपितों को नवंबर, 2022 में गिरफ्तार किया गया था। जांच के बाद सीबीआइ ने कई लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था।

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