'बांग्लादेश भेजी गई गर्भवती महिला को वापस भारत आने देने पर विचार करें', किस मामले पर SC ने केंद्र को दिया ये आदेश?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह एक गर्भवती महिला, जिसे बांग्लादेश भेजा गया था, को मानवीय आधार पर भारत आने देने पर विचार करे। कोर्ट ने महिला पर निगरानी रखने का भी सुझाव दिया है। मामला सोनाली खातून नामक महिला से जुड़ा है, जिनके निर्वासन को गैर-कानूनी बताया गया है। अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होगी।

सुप्रीम कोर्ट, (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की शीर्ष न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से कहा कि एक प्रेग्नेंट महिला, जिसके इसी साल की शुरुआत में बांग्लादेश डिपोर्ट किया गया था, उसको इंसानी आधार पर भारत आने की इजाजत देने पर विचार करें। इसके अलावा महिला पर निगरानी भी रखी जाए।
दरअसल, इस मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह प्रेग्नेंसी के एडवांस स्टेज में चल रही महिला को पश्चिम बंगाल के मालदा में भारत-बांग्लादेश सीमा के जरिए भारत में आने की इजाजत देने के बारे में निर्देश मांगें।
मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष न्यायालय से कुछ समय मांगते हुए कहा कि इस मामले पर निर्देश लेने के लिए हमें दो दिन का समय दें। हम समझते हैं कि कोर्ट हमसे मानवीय आधार पर मामले पर विचार करने के लिए कह रहा है। हम इस पर गौर करेंगे।
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि सोनाली खातून नाम की एक महिला के पिता भोदू शेख की ओर से पेश हुए सीनियर वकील सजय हेगड़े ने कहा कि वे भारत में आने के लिए बांग्लादेश की तरफ इंतजार कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में उनका डिपोर्टेशन गैर-कानूनी माना गया है और वे भारतीय नागरिक हैं।
पीठ ने इस दौरान कहा कि केंद्र सरकार गर्भवती महिला और उसके बच्चे को भारत में आने की अनुमति देने और आगे किसी भी प्रकार कि दिक्कत से बचने के लिए उसे अस्पताल में निगरानी में रखने पर विचार कर सकता है।
तीन दिसंबर को होगी मामले की अगली सुनवाई
वहीं, हेगड़े ने कहा कि अगर केंद्र गर्भवती महिला को इजाजत देता है, तो उसके पति को भी भारत में आने की इजाजत मिलनी चाहिए, क्योंकि उसे पीछे नहीं छोड़ा जा सकता। शीर्ष न्यायालय अब इस मामले पर तीन दिसंबर को सुनवाई करेगा।
बता दें कि बेंच केंद्र की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कलकत्ता हाईकोर्ट के 26 सितंबर के आदेश को चुनौती दी गई, जिसमें उसने सोनाली खातून और दूसरों को बांग्लादेश डिपोर्ट करने के केंद्र सरकार के फैसले को रद कर दिया था और इसे गैर-कानूनी बताया था।
जानकारी के अनुसार, 26 सितंबर को हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले की रहने वाली सोनाली खातून और स्वीटी बीबी को उनके परिवारों के साथ बांग्लादेश डिपोर्ट करने के केंद्र के फैसले को रद कर दिया था।
हाईकोर्ट ने दिया था ये आदेश
गौरतलब है कि इस मामले में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने केंद्र को यह पक्का करने का निर्देश दिया था कि डिपोर्ट किए गए छह नागरिकों को एक महीने के अंदर भारत वापस लाया जाए और आदेश पर टेम्पररी रोक लगाने की सरकार की अपील को खारिज कर दिया था।

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