'डेटा डिलीट न करें' EVM मामले में चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश; जानिए पूरा मामला
देश की शीर्ष अदालत ने ईवीएम से संबंधित एक याचिका की सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग से पूछा कि चुनाव खत्म होने के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर क्या है? ये याचिका देश में चुनावी सुधार के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर ने दाखिल की थी। अदालत ने कहा है कि ईवीएम का डेटा डिलीट न किया जाए।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से ईवीएम की बर्न मेमोरी के प्रमाणीकरण के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया बताने को कहा है। कोर्ट ने ये आदेश मंगलवार को ईवीएम की मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर के प्रमाणीकरण और जांच की प्रक्रिया के संबंध में दिशा-निर्देश तय करने की मांग पर सुनवाई के दौरान दिये।
हालांकि, कोर्ट ने अभी चुनाव आयोग को मामले में औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया है। लेकिन, आयोग से अपनाई जाने वाली प्रक्रिया पूछी है। मामले में कोर्ट तीन मार्च को फिर सुनवाई करेगा।
चीफ जस्टिस कर रहे सुनवाई
ये आदेश प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने ईवीएम की बर्न मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर के वैरीफिकेशन (जांच) की प्रक्रिया पर सवाल उठाने के मामले में सुनवाई के दौरान दिये।
पीठ ने कहा कि वह सिर्फ इतना जानना चाहते हैं कि ईवीएम की बर्न मेमोरी आदि की जांच के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चुनाव आयोग प्रमाणीकरण के लिए क्या प्रक्रिया अपनाता है। जस्टिस खन्ना ने कहा कि वह बहुत ज्यादा विस्तार में नहीं जाना चाहते। सिर्फ ये चाहते हैं कि कोई आकर प्रमाणीकरण कर दे।
चुनाव आयोग ने जताया विरोध
- चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि कोर्ट को इन पर विचार नहीं करना चाहिए। चुनाव आयोग कोर्ट के आदेश के अनुरूप ही प्रमाणीकरण की प्रक्रिया अपनाता है।
- उन्होंने एडीआर की अर्जी पर कहा कि पहले भी ऐसी ही अर्जी दाखिल की गई थी, लेकिन वह वापस ले ली गई और अब नई दाखिल की है और पहले वाली का जिक्र भी नहीं किया, जबकि वकील वही हैं।
- न्यायाधीश दीपांकर दत्ता ने भी वापस ली गई अर्जी के आदेश का जिक्र न किये जाने पर सवाल उठाया। मनिंदर सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल, 2024 के आदेश में मतदान का डाटा मिटाने या रिलोड करने की कोई मंशा नहीं व्यक्त की गई थी।
- इस पर प्रधान न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि वह सिर्फ इतना चाहते हैं कि चुनाव के बाद अगर कोई मांग करता है तो इंजीनियर आकर उसकी मौजूदगी में जांच करके प्रमाणीकृत कर दे कि बर्न्ट मेमोरी और माइक्रो चिप स्टॉक में कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है। आप डाटा क्यों मिटाते हैं। हम कोई विस्तृत प्रक्रिया नहीं चाहते कि आप कुछ रिलोड करें। आपको न तो डाटा मिटाना है और न ही रिलोड करना है। आपको सिर्फ इतना करना है कि कोई इंजीनियर आए और जांच कर दे बस।
आयोग दाखिल करेगा हलफनामा
डाटा मिटाने की बात तब उठी जब वकील देवदत्त कामथ ने कहा कि उनके मुवक्किल ने जांच के लिए 40,000 रुपये दिए। लेकिन, जांच डमी सिंबल और डाटा की हुई। मूल डाटा हटाया जा चुका था। वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि कोर्ट नोटिस जारी न करे। वह संक्षिप्त हलफनामा दाखिल कर प्रक्रिया बताएंगे। यह भी कहा कि डाटा में किसी तरह का बदलाव या सुधार नहीं करेंगे।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष ईवीएम को क्लीन चिट के फैसले में चुनाव होने के बाद कुछ दिन तक ईवीएम को सुरक्षित रखने और उम्मीदवार द्वारा मांग करने पर माइक्रोकंट्रोलर और बर्न मेमोरी की जांच कराने की बात कही थी।
Source:
- EVM-VVPAT पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश (26 अप्रैल, 2024):
- https://api.sci.gov.in/supremecourt/2023/10857/10857_2023_2_1501_52646_Judgement_26-Apr-2024.pdf
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