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    डिप्रेशन और कैंसर... वापसी के बाद भी आसान नहीं होगी सुनीता विलियम्स की जिंदगी; किन समस्‍याओं से जूझना पड़ सकता है?

    Sunita Williams News स्पेसएक्स का क्रू-10 मिशन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर डॉक कर गया है। इसी के साथ सुनीता विलियम्स की वापसी की उम्मीदें जग गई हैं। सुनीता विलियम्स व बुच विलमोर जून 2024 से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर फंसे हैं। दोनों 8 दिनों के लिए ही स्पेस में गए थे लेकिन स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खराबी के चलते दोनों 284 दिनों तक वहां फंसे रहे।

    By Jagran News Edited By: Mahen Khanna Updated: Mon, 17 Mar 2025 04:30 PM (IST)
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    Sunita Williams News सुनीता विलियम्स की वापसी की उम्मीद जगी। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Sunita Williams News नासा की भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की वापसी का काउंटडाउन शुरू हो गया है। इसके लिए स्पेसएक्स का क्रू-10 मिशन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर सफलतापूर्वक पहुंच गया है। वहां पहुंचने पर नए सदस्यों का स्वागत किया गया। 

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    अब अंतरिक्ष स्टेशन पर फंसे बुच विल्मोर और सुनीता विलियम्स की वापसी की उम्मीद जगी है।

    सुनीता विलियम्स (Sunita Williams News) व बुच विलमोर जून 2024 से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर फंसे हैं। दोनों 8 दिनों के लिए ही स्पेस में गए थे, लेकिन स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खराबी के चलते दोनों 284 दिनों तक वहां फंसे रहे। 

    स्पेस में इतने लंबे समय तक रहने के कई खराब असर भी होते हैं, आइए जानते हैं आखिर इससे शरीर पर क्या असर होता है....

    शरीर पर क्या पड़ता है प्रभाव ?

    • अंतरिक्ष में ग्रैविटी न होने और तेज विकिरण (रेडिएशन) अंतरिक्ष यात्रियों के लिए चुनौतीपूर्ण होते हैं।
    • लंबे समय तक स्पेस में रहने के चलते हड्डियों में कमजोरी, मांसपेशियों में सिकुड़ना, आंखों की रौशनी कम होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

    क्या इंसान के वजन पर पड़ता है असर? 

    • स्पेस में जाकर अक्सर वजन कम नहीं होता, लेकिन ग्रैविटी की कमी की वजह से शरीर में बदलाव आते हैं। माइक्रोप्रैविटी से शरीर के तरल पदार्थ ऊपर की ओर खिसकते हैं, जिससे चेहरा सूजा हुआ लग सकता है। इससे अंतरिक्ष यात्री पतले दिख सकते हैं।
    • सुनीता ने बताया कि उनका वजन अंतरिक्ष में पहले जितना ही है।

    स्पेस में रेडिएशन का क्या असर होता है? 

    धरती पर वायुमंडल व चुंबकीय क्षेत्र (मैग्नेटिक फिल्ड) हमें रेडिएशन से बचाते हैं। लेकिन अंतरिक्ष में रेडिएशन का ज्यादा असर होता है। इससे डीएनए को नुकसान होता है, जिससे कैंसर व तंत्रिका तंत्र की समस्याएं हो सकती हैं। इससे दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो जाता है।

    मेंटल हेल्थ पर कितना असर? 

    अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहना मेंटल हेल्थ पर गहरा असर डालता है। डिप्रेशन, तनाव और चिंता का खतरा बढ़ना आम है। अंतरिक्ष यात्रियों को अक्सर धरती पर वापस आने पर साइकेट्रिस्ट की सलाह लेनी पड़ती है।

    मिल सकते हैं प्रतिदिन 347 रुपये

    सुनीता विलियम्स नौ महीने से अंतरिक्ष स्टेशन पर फंसी है। वह अब जल्द वापस लौटने वाली हैं। इस बीच उन्हें मिलने वाली राशि चर्चा का विषय बनी हुई है। नासा के सेवानिवृत्त अंतरिक्ष यात्री कैडी कोलमैन के अनुसार, अंतरिक्ष यात्रियों के लिए कोई विशेष ओवरटाइम वेतन नहीं है।

    चूंकि वे संघीय कर्मचारी हैं, इसलिए अंतरिक्ष में उनके समय को पृथ्वी पर किसी भी नियमित कार्य यात्रा की तरह ही माना जाता है। नासा उनके भोजन और आइएसएस पर रहने के खर्च को वहन करता है। कोलमैन ने कहा कि उन्हें मिलने वाला एकमात्र अतिरिक्त मुआवजा आकस्मिक खर्चों के लिए एक छोटा सा दैनिक भत्ता है, जो मात्र चार डालर यानी 347 रुपये प्रतिदिन है।

    2010-11 में अपने 159 दिनों के मिशन के दौरान कोलमैन को कुल 636 डालर (55,000 रुपये से अधिक) अतिरिक्त वेतन मिला थी। इसके आधार पर सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को अंतरिक्ष में 287 दिन बिताने के बाद अतिरिक्त मुआवजे के रूप में केवल 1,148 डालर (लगभग एक लाख रुपये) ही मिल सकते हैं।

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