कक्षा 6 की छात्रा की मौत: स्कूल में देर से आने पर 100 उठक-बैठक कराने का आरोप, जांच शुरू
महाराष्ट्र के वसई में बाल दिवस पर एक दुखद घटना घटी। 12 वर्षीय काजल गोंड को स्कूल में देर से आने पर कठोर सजा दी गई, जिसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई और अस्पताल में मौत हो गई। परिवार ने स्कूल पर लापरवाही का आरोप लगाया है। एमएनएस ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
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चिल्ड्रेन्स-डे पर 10 मिनट स्कूल लेट पहुंची 12 साल की छात्रा (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र के पालघर जिले में एक दर्दनाक घटना सामने आई है। एक 12 साल की बच्ची की मौत हो गई, जिसे स्कूल देर से पहुंचने पर 100 उठक-बैठक की सजा दी गई थी। यह घटना शुक्रवार को सामने आई, जब बच्ची ने मुंबई के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया।
घटना के बाद शिक्षा विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है। ब्लॉक शिक्षा अधिकारी पांडुरंग गालंगे ने कहा कि जांच के बाद ही मौत का असली कारण साफ होगा। अभी तक पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई है। स्थानीय लोगों के अनुसार, स्कूल ने 8 नवंबर को देर से आने पर पांच छात्रों को यह सजा दी थी।
क्या है आरोप
बच्ची की मां ने आरोप लगाया कि शिक्षक ने उनकी बेटी को स्कूल बैग पीठ पर रखकर उठक-बैठक कराई, जिससे उसकी तबीयत बिगड़ गई। उन्होंने बताया कि सजा के तुरंत बाद बेटी को गर्दन और कमर में तेज दर्द होने लगा और वह ठीक से उठ भी नहीं पा रही थी।
मां का कहना है कि जब वे शिकायत लेकर स्कूल गईं, तो शिक्षक ने सजा को सही ठहराया और कहा कि माता-पिता अक्सर उन्हें फीस लेकर ठीक से न पढ़ाने का आरोप लगाते हैं। मां ने आरोप लगाया, “बच्चों को सजा देने का मतलब यह नहीं कि बैग के साथ सैकड़ों उठक-बैठक करवाएं। यही अमानवीय सजा मेरी बेटी की मौत की वजह बनी।”
अस्पताल में बिगड़ी हालत
सजा के बाद घर पहुंचने पर बच्ची की हालत और बिगड़ती गई। परिजनों ने उसे पहले नालासोपारा के एक अस्पताल में भर्ती कराया। हालत गंभीर होने पर उसे मुंबई के जेजे अस्पताल में रेफर किया गया, जहां शुक्रवार रात उसकी मौत हो गई।
MNS ने सख्त चेतावनी दी
घटना के बाद स्थानीय लोगों और अभिभावकों में भारी आक्रोश है। वे टीचर और स्कूल पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इसी बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने चेतावनी दी है कि जब तक दोषियों पर आपराधिक केस दर्ज नहीं होता, तब तक स्कूल को दोबारा खुलने नहीं दिया जाएगा।

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