पुरानी पेंशन स्कीम पर फैसला राज्यों का, हमारी भूमिका सिर्फ स्थिति बताने की: सीएजी
भारत के नियंत्रक व महालेखा-परीक्षक (सीएजी) का कहना है कि उसकी भूमिका सिर्फ राज्यों को उनकी वित्तीय स्थिति के बारे में आईना दिखाना है नीतियों को लागू करना या नहीं करना इन राज्यों के हाथ में है। (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने के बाद अब कई राज्यों में राजनीतिक दल ओपीएस को एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में है।
वहीं, केंद्रीय वित्त मंत्रालय और तकरीबन तमाम बड़े अर्थ विद व आर्थिक एजेंसियां साफ कह रही हैं कि राज्यों की वित्तीय स्थिति ओपीएस के बोझ को वहन करने में सक्षम नहीं होंगी।
ऐसे में केंद्र व राज्यों के हिसाब-किताब व आर्थिक स्थिति का आकलन करने व रिपोर्ट तैयार करने वाली संवैधानिक एजेंसी नियंत्रक व महालेखा-परीक्षक (सीएजी) का कहना है कि उसकी भूमिका सिर्फ राज्यों को उनकी वित्तीय स्थिति के बारे में आईना दिखाना है, नीतियों को लागू करना या नहीं करना इन राज्यों के हाथ में है।
भारत के नियंत्रक व महालेखा-परीक्षक गिरीश चंद्र मुर्मु ने दैनिक जागरण के साथ एक बातचीत में केंद्र व राज्यों की एजेंसियों की तरफ से समय पर सीएजी की रिपोर्ट पर सदन-पटल पर नहीं रखने पर चिंता भी जताई।
मुर्मु से जब यह पूछा गया कि क्या राज्यों की वित्तीय सेहत ओपीएस को लागू करने की इजाजत देती है, तो उन्होंने कहा कि हम अलग-अलग राज्यों को यह बताते हैं कि उनके राजकोषीय घाटे, राजस्व घाटे की स्थिति क्या है, कितनी सब्सिडी देनी है और उनके पास कितना अतिरिक्त फंड बचा है, ताकि वो नई स्कीम लागू कर सके। यह सब बातें हमारी रिपोर्टों में होती है।
उन्होंने कहा कि राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम (FRBM) के तहत सीएजी इन दोनों की वित्तीय स्थिति के आकलन के आधार पर चेतावनी भी देती है। बाकी ओपीसी या एनपीएस (नई पेंशन स्कीम) को लागू करने जैसे फैसले, तो इन सरकारों को ही करना है।
इस माह के अंत तक जारी होंगी कई राज्यों की रिपोर्ट
सीएजी मुर्मु ने यह बातें तब बताई है जब उनकी एजेंसी कई राज्यों की वित्तीय स्थिति पर ताजी रिपोर्ट रिलीज करने की तैयारी में हैं। इस महीने के अंत तक कई राज्यों की रिपोर्टें जारी होंगी जिसमें राजस्थान, छत्तीसगढ़ भी शामिल है।
हाल ही में पंजाब जहां पिछले वर्ष आम आदमी पार्टी की सरकार ने जीत हासिल करने के बाद नई पेंशन स्कीम की जगह पुरानी पेंशन स्कीम लागू की है, पर विस्तृत रिपोर्ट जारी की है। सीएजी ने पंजाब की वित्तीय स्थिति पर काफी चिंता जताते हुए कहा है कि राज्य पर कुल कर्ज 2,61,281 करोड़ रुपये का है, जो राज्य के कुल इकोनोमी के आकार का 44.74 फीसद है।
राज्य पर ब्याज का बोझ बढ़ता जा रहा है और वर्ष 2021-22 में कुल राजस्व का 25.08 फीसद ब्याज अदाएगी में जा रहा है। वैसे ओपीएस लागू करने का बोझ मौजूदा सरकार को नहीं उठाना होगा लेकिन अगर राज्य की वित्तीय स्थिति ऐसी ही रही तो भविष्य की सरकार की मुश्किलें बढ़ेंगी। राजस्थान व छत्तीसगढ़ की रिपोर्ट सामने आने पर पता चलेगा कि उनकी कैसी वित्तीय स्थिति है।
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