निजी सेक्टर के कर्मचारियों की न्यूनतम पेंशन बढ़ोतरी में कई रोड़े, सरकार सालाना देती है 9,000 करोड़ की सब्सिडी
वित्त मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक न्यूनतम पेंशन में बढ़ोतरी से सरकारी खजाने पर दबाव बढ़ जाएगा। फिलहाल न्यूनतम पेंशन को देने में ही सरकार को सालाना लगभग 9000 करोड़ की सब्सिडी देनी पड़ती है। न्यूनतम पेंशन को बढ़ाने पर इस सब्सिडी में और बढ़ोतरी करनी पड़ेगी।

नई दिल्ली, राजीव कुमार। कई राज्य सरकारें अपने कर्मचारियों के लिए फिर से ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) लागू करने की घोषणा कर रही हैं, लेकिन संगठित निजी सेक्टर के कर्मचारियों की न्यूनतम पेंशन में बढ़ोतरी के आसार नहीं दिख रहे हैं।
न्यूनतम पेंशन में बढ़ोतरी से सरकारी खजाने पर बढ़ेगा दबाव
वित्त मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, न्यूनतम पेंशन में बढ़ोतरी से सरकारी खजाने पर दबाव बढ़ जाएगा। फिलहाल न्यूनतम पेंशन को देने में ही सरकार को सालाना लगभग 9,000 करोड़ की सब्सिडी देनी पड़ती है। न्यूनतम पेंशन को बढ़ाने पर इस सब्सिडी में और बढ़ोतरी करनी पड़ेगी।
सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल सरकार इस मद में और वित्तीय दबाव लेने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में ओपीएस को लेकर राज्य सरकारें कितनी जिम्मेदारी उठा पाएगी यह कहना मुश्किल है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) से जुड़े निजी सेक्टर के कर्मचारियों की न्यूनतम पेंशन प्रतिमाह 1000 रुपए है।
इंप्लाय पेंशन स्कीम 1995 के तहत न्यूनतम पेंशन 1000 रुपए करने का फैसला किया गया था जिसे वर्ष 2014 के सितंबर माह से लागू किया गया। इस पेंशन स्कीम को लागू करने के लिए सरकार को हर साल बजट में प्रविधान करना पड़ता है तब जाकर ईपीएफओ के रिटायरमेंट स्कीम से जुड़ने वाले कर्मचारियों को 1000 रुपए की न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित हो पाती है। चालू वित्त वर्ष 2022-23 और आगामी वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में इस मद में 9167 करोड़ रुपए का प्रविधान किया गया।
सब्सिडी के बोझ को बढ़ाना आसान नहीं
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, इस सब्सिडी के बोझ को बढ़ाना आसान नहीं होगा। इसलिए न्यूनतम पेंशन की बढ़ोतरी पर फैसला नहीं हो पा रहा है। न्यूनतम पेंशन को बढ़ाने के लिए विभिन्न संगठनों की तरफ से लगातार मांग भी उठती रही है और श्रम मंत्रालय ने इस पर विचार करने के लिए वर्ष 2018 में एक कमेटी का गठन किया था।
कमेटी ने वर्ष 2018 के दिसंबर में ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। रिपोर्ट में न्यूनतम पेंशन को कम से कम 2000 रुपए प्रतिमाह करने की सिफारिश की गई थी।
सूत्रों के मुताबिक, न्यूनतम पेंशन में बढ़ोतरी होने पर पेंशन फंड में उपलब्ध राशि और देय राशि में बड़ा अंतर हो जाएगा। उस अंतर को पूरा करने के उपाय होते ही न्यूनतम पेंशन में बढ़ोतरी की जा सकती है। न्यूनतम पेंशन में बढ़ोतरी को लेकर महाराष्ट्र में इन दिनों काफी प्रदर्शन हो रहे हैं। ये कर्मचारी प्रतिमाह कम से कम 7500 रुपए पेंशन की मांग कर रहे हैं।
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