टेंडर के मामलों में खुद फैसले ना करें, केंद्र सरकार ने राज्यों के PWD को दिया निर्देश; जानिए क्या है पूरा मामला
केंद्र सरकार ने राज्यों के PWD को एक आदेश देते हुए लिखा कि टेंडर के मामलों में खुद से कोई फैसला ना करें। केंद्र का मामना है कि निविदा प्रपत्रों में गड़बड़ियों के कारण अधिकांश मामले कानूनी पचड़े में फंस जाते हैं। इसके कारण प्रोजेक्ट्स में काफी देरी होती है। केंद्र ने बताया कि विवाद के कारण देरी के साथ सरकार को हो रहा नुकसान।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने पीडब्ल्यूडी सरीखी एजेंसियों के जरिये होने वाले एनएच कार्यों में निविदा प्रपत्रों अन्य कानूनी पहलुओं के प्रति अपनाई जा रही लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए क्षेत्रीय अधिकारियों के लिए टेंडर जारी करने से पहले सारी खामियां दुरुस्त करना अनिवार्य कर दिया है।
निविदा प्रपत्रों में गड़बड़ियों के कारण अधिकांश मामले कानूनी पचड़े में फंस जाते हैं और इसके चलते प्रोजेक्टों में देरी भी होती है और सरकार को नुकसान भी उठाना पड़ता है। राज्यों में ऐसे अनेक मामले सामने आए हैं। एक राज्य में तो इतनी बड़ी गड़बड़ी हुई कि एक महत्वपूर्ण निर्माण सामग्री की मात्रा ही अनाप-शनाप लिख दी गई और स्वीकृत पत्र भी जारी हो गया और टेंडर भी कर दिया गया।
केंद्र सरकार ने राज्यों को लिखी चिट्ठी
राज्यों को लिखी चिट्ठी में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने कहा है कि दस्तावेजों की छानबीन की सामान्य प्रक्रिया के पालन में बरती जाने वाली लापरवाही के कारण अनावश्यक विवाद हो रहे हैं, कानूनी जटिलताएं पैदा हो रही हैं और केंद्र सरकार पर वित्तीय बोझ पड़ रहा है।
PWD द्वारा जारी बिड दस्तावेजों की छानबीन करेंगे क्षेत्रीय अधिकारी
मंत्रालय ने कहा है कि यह देखा गया है कि कभी-कभी क्षेत्रीय अधिकारियों से बिडिंग प्रक्रिया के दौरान न तो बात की जाती है और न ही सलाह ली जाती है। जब विवाद आर्बिट्रेशन अथवा अदालत में पहुंच जाता है तब भी बचाव के लिए उनसे सलाह नहीं ली जाती। इस स्थिति से बचने के लिए सरकार ने सभी तरह के एनएच प्रोजेक्ट (जिनमें सौ करोड़ रुपये से कम वाले प्रोजेक्ट भी शामिल हैं) को लेकर राज्यों के पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा जो भी बिड दस्तावेज तैयार किए जाएंगे, उनकी छानबीन क्षेत्रीय अधिकारी करेंगे।
इसके जरिये मात्रा, विशिष्टताओं और ठेके की शर्तों को लेकर जो भी अनियमितता अथवा विसंगितियां होंगी, उन्हें दूर किया जाएगा। मंत्रालय ने अपने क्षेत्रीय अधिकारियों से भी कहा है कि वे इस प्रक्रिया में सक्रियता से भाग लें। राज्यों के लोक निर्माण विभाग इन मामलों में स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं करेंगे।
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