महिला डॉक्टर सुसाइड केस में एक आरोपी पुणे से गिरफ्तार, पुलिस सब-इंस्पेक्टर अभी भी फरार
सतारा जिले में एक महिला डॉक्टर की आत्महत्या के मामले में एक नया मोड़ आया है, जिसमें एक सांसद का नाम भी शामिल है। पुलिस ने पुणे से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जबकि एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर अभी भी फरार है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच का आश्वासन दिया है। विपक्ष ने इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है। डॉक्टर संगठनों ने निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
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सतारा महिला डॉक्टर रेप केस।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। सतारा जिले के फलटन तहसील में 28 वर्षीय महिला डॉक्टर की आत्महत्या के मामले ने इसमें एक सांसद का भी नाम आने के बाद एक बड़े मुद्दे का रूप ले लिया है। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए पुणे से एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया है। महिला डॉक्टर ने उसका नाम आत्महत्या करने से पहले अपनी हथेली पर लिखा था। उस पुलिस अधिकारी की तलाश में व्यापक अभियान चलाया जा रहा है, जिसने उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया था।
डॉक्टर फलटन उप-जिला अस्पताल में चिकित्सा अधिकारी के पद पर तैनात थी। इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री राज्य के गृह मंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि जो भी इसमें शामिल है उसे बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा है कि यह दुखद है। यह गंभीर है। कल्पना कीजिए कि उसने कितनी पीड़ा झेली होगी कि उसने आत्महत्या करने से पहले अपनी हथेली पर नाम लिख लिए। गंभीरता को देखते हुए, आरोपी (पुलिस अधिकारी) को तुरंत निलंबित कर दिया गया है।
फडणवीस ने विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी के आरोपों का उत्तर देते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष इतने गंभीर मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहा है। वे इस घटना को राजनीतिक रंग दे रहे हैं।
एक गिरफ्तार, पुलिस सब-इंस्पेक्टर की तलाश जारी
सतारा पुलिस ने बलात्कार और आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है। शनिवार को गिरफ्तार प्रशांत बनकर, जो पुणे में रहने वाला एक तकनीकी विशेषज्ञ है और उस मकान के मकान मालिक का बेटा है जहां पीड़िता रहती थी। जबकि सब इंस्पेक्टर गोपाल बदाने का पता लगाने के लिए टीमें लगा दी गई हैं।
पुलिस सब-इस्पेंक्टर और टेक्नीशियन पर लगा आरोप
डॉक्टर ने पुलिसकर्मी पर कई बार दुष्कर्म करने के अलावा मानसिक उत्पीड़न करने और तकनीशियन पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है। दूसरी ओर, यह बात भी प्रकाश में आई है कि पुलिस ने पिछले महीने जिला सर्जन को आत्महत्या करने वाली डॉक्टर के खिलाफ एक शिकायत भेजी थी, जिसमें उनके "परेशान करने वाले" और "असहयोगी" व्यवहार का विवरण दिया गया था और कहा गया था कि उन्हें किसी भी आरोपी की मेडिकल जांच करने के लिए नियुक्त न किया जाए। जबकि महिला डॉक्टर ने अपने चार पृष्ठों के सुसाइड नोट में बदाने और अन्य पुलिसकर्मियों पर आरोप लगाया कि उन्होंने आरोपियों के लिए फर्जी फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने के लिए उन पर दबाव डाला था।
कांग्रेस ने क्या कहा?
कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा है कि पुलिस का काम सुरक्षा करना है, लेकिन अगर वे खुद एक महिला डॉक्टर का शोषण कर रहे हैं, तो न्याय कैसे मिलेगा? जब इस लड़की ने पहले शिकायत दर्ज कराई थी, तब कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
विधानसभा में दो बार विपक्ष के नेता रहे वडेट्टीवार ने कहा कि महायुति सरकार बार-बार पुलिस का बचाव करती है, जिससे पुलिस अत्याचार बढ़ रहे हैं। इस मामले में सिर्फ जांच का आदेश देना ही काफी नहीं है। इन पुलिस अधिकारियों को नौकरी से बर्खास्त कर देना चाहिए, वरना वे जांच पर दबाव डाल सकते हैं।
शिवसेना (यूबीटी) ने क्या कहा?
शिवसेना (यूबीटी) नेता अंबादास दानवे ने दिवंगत डॉक्टर द्वारा अधिकारियों को लिखा गया चार पृष्ठों का पत्र पोस्ट किया। उन्होंने तीखे तेवर दिखाते हुए कहा कि महिलाओं की सुरक्षा की जरूरत 'लाड़की बहन' (महिलाओं के लिए नकद लाभ योजना का संदर्भ) से भी ज्यादा है। अगर फडणवीस के संरक्षण में फलने-फूलने वाले लोग इस तरह से महिलाओं को परेशान कर रहे हैं, तो फडणवीस गृह मंत्री के रूप में विफल रहे हैं और उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। विधान परिषद में विपक्ष के पूर्व नेता ने जानना चाहा कि महिला डॉक्टर की शिकायत पर (अस्पताल के) डीन या अधीक्षक ने क्या कार्रवाई की?
महिला डॉक्टर का किया गया अंतिम संस्कार
पत्र में डॉक्टर ने लिखा था कि सांसद के दो निजी सहायक अस्पताल पहुंचे और मुझसे अभद्र भाषा में बात की। मृतक डॉक्टर ने लिखा है कि सांसद नाराज हैं' और मुझ पर एक आरोपी की मनचाही रिपोर्ट लगाने का दबाव डाला गया। जब मैंने नियमानुसार कार्रवाई करने पर जोर दिया, तो उन्होंने मुझे धमकाते हुए कहा, 'देख लेंगे'। इस बीच, आधी रात के आसपास बीड जिले के वडवानी तहसील के कवाडगांव गांव में परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों द्वारा महिला डॉक्टर का अंतिम संस्कार कर दिया गया है।
डॉक्टर संगठनों ने की ये मांग
क्षुब्ध इंडियन मेडिकल एसोसिएशन-महाराष्ट्र राज्य (आईएमए) और फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (एफएआईएमए) ने समयबद्ध जांच, न्यायिक जांच, दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
आईएमए-महाराष्ट्र के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संतोष कदम और मानद सचिव डॉ. अनिल आह्वाड ने राज्य गृहमंत्रालय के भी प्रभारी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखे एक पत्र में कहा है कि डॉक्टर की मौत कोई अकेली त्रासदी नहीं है, बल्कि यह राज्य भर के डॉक्टरों, खासकर ग्रामीण और बाहरी अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों, जिन्हें अपर्याप्त संस्थागत सहायता मिलती है, पर बढ़ते मनोवैज्ञानिक, प्रशासनिक और नैतिक दबाव का प्रतिबिंब है। ऐसी घटनाएँ युवा डॉक्टरों को ग्रामीण इलाकों में सेवा करने से हतोत्साहित करती हैं।
रिपोर्ट्स से पता चलता है कि डॉक्टर को लगातार मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जबकि उन्होंने बार-बार अपने वरिष्ठ अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई थी। उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से भी गुहार लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
उन्होंने कहा कि उनकी शिकायत पर की गई कार्रवाई के बारे में कोई जानकारी नहीं है। प्रशासनिक प्रतिक्रिया और सुरक्षा में विफलता के कारण एक अपूरणीय क्षति हुई है, जिसके लिए अब व्यवस्थागत जवाबदेही तय की जानी चाहिए। उन्होंने मांग की कि शिकायत में नामित पुलिस और प्रशासनिक कर्मियों को तत्काल निलंबित और गिरफ्तार किया जाना चाहिए, इसके बाद उनकी मृत्यु के लिए जिम्मेदार परिस्थितियों की न्यायिक निगरानी, निष्पक्ष और समयबद्ध जांच होनी चाहिए।

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