Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    'लगे थे जांच में रुकावट डालने के आरोप', महाराष्ट्र की महिला डॉक्टर सुसाइड केस में हैरान कर देने वाला खुलासा

    Updated: Sat, 25 Oct 2025 04:32 PM (IST)

    महाराष्ट्र के सतारा में रेप के बाद आत्महत्या करने वाली महिला डॉक्टर के मामले में नया खुलासा हुआ है। डॉक्टर पर जाँच में रुकावट डालने के आरोप लगे थे, जिसके चलते पुलिस ने शिकायत भी दर्ज कराई थी। आरोप है कि वह आरोपियों को अनफिट घोषित कर गिरफ्तारी रुकवाती थी। डॉक्टर ने सुसाइड नोट में एक पुलिस अधिकारी पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था।

    Hero Image

    महाराष्ट्र में महिला डॉक्टर सुसाइड केस में नया खुलासा।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र के सतारा में रेप के बाद सुसाइड करने वाली महिला डॉक्टर को लेकर नए-नए खुलासे हो रहे हैं। इस बीच पचा चला है कि सुसाइड करने वाली डॉक्टर के खिलाफ जांच में रुकावट डालने के आरोप लगे थे। पुलिस ने पिछले महीने ही जिला चिकित्सक को उसके खिलाफ एक शिकायत भेजी थी, जिसमें परेशान करने वाले और सहयोग न करने वाले बर्ताव के बारे में जिक्र किया गया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    26 साल की डॉक्टर सतारा के फलटन उप-जिला अस्पताल में मेडिकल अफसर के तौर पर काम करती थी, जिसने गुरुवार रात को सुसाइड कर लिया। महिला ने अपनी बाईं हथेली पर लिखे एक सुसाइड नोट में सब-इंस्पेक्टर गोपाल बडने पर मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान करने का आरोप लगाया। बडने को सस्पेंड कर दिया गया है और वह अभी फरार हैं।

    महिला डॉक्टर पर क्या आरोप लगे थे?

    22 सितंबर को डिस्ट्रिक्ट सर्जन को दी गई पुलिस कंप्लेंट में आरोप लगाया गया कि डॉक्टर ने गंभीर अपराधों के आरोपियों के मेडिकल चेक-अप में रुकावट डाली और आशंका जताई कि उनके व्यवहार के कारण संदिग्ध कानून से बच सकते हैं। फलटन ग्रामीण पुलिस थाने के इंस्पेक्टर सुनील महादिक ने अपने लेटर में कहा कि वह उनके साथ सहयोग नहीं करती थीं और अक्सर अधिकारियों से बहस करती थीं।

    इस साल 30 मई के ऐसे ही एक मामले का जिक्र करते हुए शिकायत में कहा गया कि डॉक्टर ने दो आरोपियों का गिरफ्तारी से पहले मेडिकल चेक-अप करने से मना कर दिया था, जिन्हें देर रात अस्पताल ले जाया गया था। इसके बाद उसने पुलिस पर आरोप लगाया कि वे जानबूझकर उसे परेशान कर रहे थे, क्योंकि उसे समझाया गया था कि आरोपियों को बिना चेक-अप के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।

    'जानबूझकर आरोपियों को अनफिट घोषित करती थी'

    पुलिस ने आगे आरोप लगाया कि वह कुछ आरोपियों को अनफिट घोषित करके अस्पताल में भर्ती करवाती थी, जिससे उनकी गिरफ्तारी रुक जाती थी और पुलिस को गार्ड तैनात करने पड़ते थे। उन्होंने दावा किया कि 30 मई की घटना के दौरान भी उसने आरोपियों को अनफिट घोषित किया था, लेकिन वे अगले दिन फिट पाए गए।

    उन्होंने आरोप लगाया कि एक और घटना में उसने पुलिस से कहा कि वह उनके लिए परेशानी खड़ी करना चाहती है। 19 जून को डॉक्टर ने पुलिस पर ऐसा ही आरोप लगाया था। उप-विभागीय के पुलिस उपाधीक्षक को लिखे पत्र में डॉक्टर ने दो अधिकारियों पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की थी।

    शिकायत में नाम आने के बाद उसने कथित तौर पर एक पुलिस इंस्पेक्टर पर दबाव डालने की भी कोशिश की थी। शिकायत में कहा गया है कि उसने जाति और जेंडर से जुड़े आरोप लगाने के अलावा, उससे कहा था, "मैं अब अपनी जान जोखिम में डाल रही हूं।"

    पुलिस ने क्या मांग की थी?

    जिला चिकित्सक को दी गई शिकायत में पुलिस ने मांग की कि उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए और उसे किसी भी आरोपी का चिकित्सा जांच करने के लिए नियुक्त न किया जाए। इसके बाद जिला चिकित्सक के कार्यालयन ने संबंधित अधिकारियों को आरोपों की जांच करने और रिपोर्ट जमा करने का भी आदेश दिया था।

    डॉक्टर ने गुरुवार को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में अपनी जान दे दी। अपनी हथेली पर छोड़े नोट में, उसने बदने पर खुदकुशी के लिए उकसाने का इल्जाम लगाया।

    यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र की महिला डॉक्टर पर किस सांसद ने बनाया था दबाव? सुसाइड नोट में दो PA का भी नाम