दुर्लभ बीमारी से पीड़ित सृष्टि की हालत हुई चिंताजनक, वेंटिलेटर से चल रही सांस
सृष्टि का उपचार कर रहे अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डा. सुशील कुमार ने बताया कि बच्ची अब हिल भी नहीं पा रही है। शरीर की सभी मांसपेशियां शिथिल हो गई है। ऐसे में वह खुद भी सांस नहीं ले सकती इसलिए उसे वेंटिलेटर में रखा गया है।

बिलासपुर, राज्य ब्यूरो। दुर्लभ बीमारी एसएमए टाइप वन (स्पाइनल मस्कुलर एट्राफी) से पीडि़त 14 माह की सृष्टि की हालत गंभीर है। वह खुद सांस भी नहीं ले पा रही है। मासूम बच्ची वेंटिलेटर में जिंदगी और मौत से लड़ रही है। सृष्टि के पिता सतीश कुमार मूलत: झारखंड के पलामू जिले के ग्राम कांके कला सिक्की के रहने वाले हैं। वे छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के दीपका स्थित एसईसीएल (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) में कार्यरत हैं।
सृष्टि का उपचार कर रहे अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डा. सुशील कुमार ने बताया कि बच्ची अब हिल भी नहीं पा रही है। शरीर की सभी मांसपेशियां शिथिल हो गई है। ऐसे में वह खुद भी सांस नहीं ले सकती, इसलिए उसे वेंटिलेटर में रखा गया है। डा. कुमार ने बताया कि एसएमए टाइप वन बीमारी में जीन थैरेपी के अलावा कोई इलाज नहीं है। उसे संक्रमण से बचाने के लिए बीच-बीच में एंटीबायोटिक दवा दी जा रही है। अभी सृष्टि की हालत काफी चिंताजनक है।
डायरेक्टर पर्सनल शहर से बाहर, नहीं हो सकी बैठक
सृष्टि के पिता सतीश कुमार एसईसीएल में ओवरमैन हैं। कंपनी की ओर से उसकी मदद के लिए मंगलवार को श्रमिक संगठनों और प्रबंधन की बैठक होने वाली थी। सुबह आवश्यक काम से डायरेक्टर पर्सनल को मुख्यालय से बाहर जाना पड़ा। इसकी वजह से बैठक नहीं हो पाई। एटक एसईसीएल के महासचिव और एसईसीएल संचालन समिति के सदस्य हरिद्वार सिंह ने बताया कि सृष्टि को बचाने के लिए हर संभव प्रयास व मदद की जाएगी। अब 18 फरवरी की दोपहर में इस संबंध में डायरेक्टर पर्सनल से बैठक होगी।
साढ़े 22 करोड़ का इंजेक्शन
सृष्टि का उपचार छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित अपोलो अस्पताल में चल रहा है। सृष्टि के पिता सतीश कुमार ने बताया कि दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्राफी टाइप वन से पीडि़त बच्ची को बचाने के लिए साढ़े 22 करोड़ रुपये का जोल्जेंसमा इंजेक्शन की आवश्यकता है। बच्ची की लगातार बिगड़ती स्थिति के कारण माता सोनिया देवी और पिता की चिंता और बढ़ गई है। इतनी बड़ी रकम की व्यवस्था करना उसके लिए मुश्किल होता जा रहा है।
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