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    फेसबुक पर दक्षिण अफ्रीकी परिवार ने खोजा पूर्वजों का गांव

    By Srishti VermaEdited By:
    Updated: Tue, 02 Jan 2018 01:32 PM (IST)

    इंसानी जिंदगी अपने हालात और रोजी-रोटी की कैफियत वाली जज्बातों के चलते अपना ठौर-ठिकाना तकरीबन किरायेदार की तरह बदलती रहती है।

    फेसबुक पर दक्षिण अफ्रीकी परिवार ने खोजा पूर्वजों का गांव

    गाजीपुर (जागरण संवाददाता)। फेसबुक के जरिए दक्षिणी अफ्रीकी परिवार ने अपने पूर्वजों की जन्मस्थली को तलाश लिया और 140 वर्ष बाद जमानियां क्षेत्र के दरौली गांव पहुंच गए। यहां की माटी पर पैर रखते ही वह अपनेपन से अभिभूत हो गया। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि वह उस गांव में खड़े हैं जिससे उनका खून का रिश्ता है। उनके देखने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा और उनका भव्य स्वागत किया। इसके बाद शुरू हुए यादों से जुड़े किस्से कहानी। दक्षिण अफ्रीकी परिवार के मुखिया एडी बोधा अपने साथ पत्नी, पुत्र, सास, श्वसुर और चाचा-चाची को भी लाए थे।

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    बात उस समय की है जब आज की तरह हवाई सफर की व्यवस्था नहीं थी तब जमानियां का जमाना पानी वाली जहाज से दुनिया के गैर मुल्कों का सफर तय कर रहा था। इंसानी जिंदगी अपने हालात और रोजी-रोटी की कैफियत वाली जज्बातों के चलते अपना ठौर-ठिकाना तकरीबन किरायेदार की तरह बदलती रहती है। ऐसे ही हालात में गाजीपुर जिले के जमानियां क्षेत्र के दरौली निवासी रामफूल यादव 20 वर्ष की युवावस्था में आज से लगभग 140 वर्ष पूर्व सन 1878 में दक्षिण अफ्रीका चले गए थे। तब आज की तरह हवाबाजी करती उड़ाने नहीं थी, बस एक कश्ती का सहारा और नदियों का किनारा था।

    वर्तमान में साउथ अफ्रीका के मूल निवासी और पेशे से सीनियर फिजियोथेरेपिस्ट रामफूल यादव के वंशजों में शामिल एडी बोधा से प्राप्त प्रामाणिक अभिलेखों को देखने के बाद पता चला कि पानी वाली जहाजरानी का काफिला कोलकाता से 140 साल पहले कभी शुरू होकर करीब दो माह बाद रामफूल को लेकर दक्षिण अफ्रीका पहुंचा था। तब से आज तक जमाना अपनी रफ्तार में था और दरौली भी अपनी पहचान बनाता हुआ रेल के नक्शे पर है। संयोग से करीब 140 साल बाद रामफूल के वंशजों का काफिला दरौली गांव पहुंचा।

    फेसबुक की अपनी भूले भटकों के मिलाने वाली फितरत आज फिर यथार्थ हुई जब से दो माह पूर्व दरौली गांव के निवासी ओमप्रकाश यादव पुत्र रामावतार यादव को जरिए मैसेंजर एडी बोधा का संदेश प्राप्त हुआ और एडी बोधा ने ओमप्रकाश यादव से दरौली को अपने पूर्वजों की मूल मिट्टी बताया। तब ओमप्रकाश के लिए यह विषय अपार हर्ष का था और उन्होंने ने एडी बोधा से कभी दरौली आने को कहा। एडी बोधा जब दरौली भ्रमण के लिए आए तो ओमप्रकाश यादव सहित उनके परिवारीजन, दोस्तों और ग्रामीणों ने उनका स्वागत किया। एडी बोधा पूर्वजों की मिट्टी को अपने साथ बतौर स्मृति तत्व ले गये। वहीं ग्रामवासियों में मिष्ठान्न वितरण के लिए दो हजार रुपये उपहारस्वरूप दिए। ग्रामीणों ने उन्हें नम आंखों से विदा किया और फिर आने के वादे के साथ।

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