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    आशा व आंगनबाड़ी वर्कर्स का मानदेय बढ़ाने की मांग, सोनिया गांधी ने राज्यसभा में उठाया मुद्दा

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 11:35 PM (IST)

    सोनिया गांधी ने राज्यसभा में महिला फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के वेतन और रिक्तियों का मुद्दा उठाया। उन्होंने आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के कम मानदेय पर ...और पढ़ें

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    तीन लाख रिक्तियों को भरने की मांग (फोटो: संसद टीवी)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वरिष्ठ कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने राज्यसभा में महिलाओं के फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के सामने आने वाली समस्याओं का मुद्दा उठाया, जिसमें केंद्र के योगदान को उनके वेतन में दोगुना करने और आईसीडीएस में लगभग तीन लाख रिक्तियों को भरने की मांग की गई।

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    पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने मंगलवार को शून्यकाल के दौरान कहा कि आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायक और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सामुदायिक संसाधन व्यक्ति अपने महत्वपूर्ण योगदान के बावजूद सार्वजनिक सेवा वितरण में अत्यधिक बोझ और कम वेतन का सामना कर रहे हैं।

    मानदेय पर उठा सवाल

    उन्होंने कहा, 'देशभर में आशा कार्यकर्ता टीकाकरण, जन जागरूकता, मातृ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण का कार्य करते हैं। फिर भी वे कम मानदेय और सीमित सामाजिक सुरक्षा के साथ स्वयंसेवक बने रहते हैं।' सोनिया ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को केंद्र सरकार द्वारा केवल 4,500 रुपये का न्यूनतम मानदेय और 2,250 रुपये प्रति माह दिया जाता है।

    विभिन्न स्तरों पर एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) में लगभग तीन लाख रिक्तियां हैं, जिससे लाखों बच्चों और माताओं को आवश्यक सेवाओं से वंचित रखा गया है। राज्यसभा सदस्य ने कहा, 'यह पद भरे जाने पर भी जनसंख्या मानकों की कमी के कारण ये पद पर्याप्त नहीं हैं, क्योंकि 2011 के बाद से अद्यतन जनगणना आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।'

    रिक्तियां भरने का आग्रह

    वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने सरकार से आग्रह किया कि वह राज्यों के साथ मिलकर सभी मौजूदा रिक्तियों को भरें, सभी कार्यकर्ताओं को समय पर वेतन सुनिश्चित करें और इन फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के वेतन में केंद्र के योगदान को दोगुना करें। उन्होंने यह भी मांग की कि 2,500 से अधिक जनसंख्या वाले गांवों में एक अतिरिक्त आशा कार्यकर्ता की नियुक्ति की जाए और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की संख्या को दोगुना किया जाए ताकि मौजूदा पोषण और स्वास्थ्य पहलों के साथ-साथ प्रारंभिक बाल शिक्षा को भी सक्षम बनाया जा सके।

    गांधी ने कहा, 'मैं यह जोर देना चाहती हूं कि इस कार्यबल को मजबूत करना, विस्तारित करना और समर्थन देना भारत के भविष्य में एक निवेश है।'

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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