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    'शिक्षा का व्यावसायिक, सांप्रदायिक व केंद्रीयकरण हो रहा', मोदी सरकार पर सोनिया गांधी का हमला

    कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी ने शिक्षा व्यवस्था पर मोदी सरकार को घेरा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने गरीब लोगों को शिक्षा व्यवस्था से बाहर करके निजी स्कूलों के हाथों में धकेल दिया है। सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि सितंबर 2019 के बाद से शिक्षा सलाहकार बोर्ड की बैठक नहीं हुई है। केंद्र सरकार राज्यों की चिंताओं पर बात तक नहीं करती है।

    By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Mon, 31 Mar 2025 12:56 PM (IST)
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    कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी। ( फाइल फोटो )

    आईएएनएस, नई दिल्ली। सोनिया गांधी ने शिक्षा प्रणाली पर केंद्र की मोदी सरकार की जमकर आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार शिक्षा के क्षेत्र में तीन सी (C) पर काम कर रही है। सरकार केंद्रीयकरण, व्यावसायीकरण और सांप्रदायिकरण पर जुटी है। शिक्षा के क्षेत्र में इसके घातक परिणाम होंगे। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने समाचार पत्र में लिखे सोनिया गांधी के लेख को सोशल मीडिया पर साझा किया।

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    राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आलोचना

    अपने लेख में सोनिया गांधी ने लिखा कि केंद्र राज्य सरकारों को समग्र शिक्षा अभियान के तहत मिलने वाले अनुदान को रोककर पीएम-श्री योजना को लागू करने का दबाव बना रहा है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की आलोचना की और कहा कि इस हाई-प्रोफाइल राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने देश के बच्चों और युवाओं की शिक्षा के प्रति बेहद उदासीन सरकार की वास्तविकता को छिपा दिया है।

    केंद्रीयकरण से शिक्षा को अधिक नुकसान

    चिंता जाहिर करते हुए सोनिया गांधी ने लिखा कि पिछले 10 सालों में केंद्र सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में सत्ता का केंद्रीकरण, शिक्षा में निवेश का व्यावसायीकरण, निजी क्षेत्र को आउटसोर्सिंग और पाठ्यपुस्तकों, पाठ्यक्रम और संस्थानों का सांप्रदायिकरण किया है। सोनिया गांधी का मानना है कि केंद्रीकरण का सबसे अधिक नुकसानदायक असर शिक्षा के क्षेत्र में हुआ है।

    राज्यों से बात नहीं करती केंद्र सरकार

    सोनिया गांधी ने कहा कि केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की बैठक सितंबर 2019 के बाद से नहीं हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों से बात नहीं करती है। उनके मुद्दों पर विचार भी नहीं करती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव और लागू करते वक्त भी केंद्र ने राज्यों से एक भी बार बात करना उचित नहीं समझा। यह इस बात का सबूत है कि केंद्र अपने अलावा किसी अन्य की आवाज पर ध्यान नहीं देता है। सोनिया गांधी का आरोप है कि संविधान की समवर्ती सूची से जुड़े विषय पर भी चर्चा नहीं की गई।

    धमकाने वाली प्रवृत्ति भी बढ़ी

    अपने लेख में सोनिया गांधी ने लिखा कि संवाद की कमी के साथ-साथ धमकाने की भी प्रवृत्ति बढ़ी है। उन्होंने पीएम-श्री योजना का जिक्र किया और कहा कि शिक्षा प्रणाली का तेजी से व्यावसायीकरण किया जा रहा है। इसकी झलक राष्ट्रीय शिक्षा नीति में दिखती है।

    2014 से देशभर में 89,441 सरकारी स्कूलों को बंद और एकीकृत होते देखा गया है। वहीं 42,944 अतिरिक्त निजी स्कूलों की स्थापना हुई है। सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि देश के गरीबों को सार्वजनिक शिक्षा से बाहर कर दिया गया है। उन्हें बेहद मंहगी और निजी स्कूल व्यवस्था के हाथों में धकेल दिया गया है।

    सांप्रदायिकरण पर सरकार का जोर

    सोनिया गांधी का आरोप है कि सरकार का तीसरा जोर सांप्रदायिकरण पर है। शिक्षा व्यवस्था के माध्यम से नफरत पैदा की जा रही है और उसे बढ़ावा दिया जा रहा है। यह भाजपा और संघ के दीर्घकालिक वैचारिक प्लान का हिस्सा है। एनसीईआरटी के पाठ्यक्रमों में बदलाव किया जा रहा है। महात्मा गांधी की हत्या और मुगल भारत से जुड़े पाठों को हटा दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालयों में सरकार की विचारधारा के अनुकूल लोगों को नियुक्त किया जा रहा है।

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