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    Save Water: बारिश की बूंदों को एकत्र करके बचाया जा सकता है पानी, सामान्य तकनीक से असाधारण नतीजे

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Mon, 08 Mar 2021 10:02 AM (IST)

    पानी की समस्‍या से निजात पाने और पानी को बचाने के लिए हम अपनी पुरानी तकनीक की ही मदद ले सकते हैं। इस तकनीक से बेहतर नतीजे सामने आए हैं। इसको ही आगे बढ़ाए जाने की जरूरत है।

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    बारिश की बूंदें बचाकर बढ़ेगा पानी का जलस्‍तर

    नई दिल्ली (जेएनएन)। वर्षाजल संग्रहण बहुत पुरानी है और इंसानी सभ्यता को पुष्पित-पल्लवित करने में इसकी अहम भूमिका रही है। सूखे और मरुस्थलों में इसी तकनीक के बूते इंसान अपनी तमाम जरूरतों के लिए पानी का इंतजाम करता था। आधुनिक जल समस्या को हम बारिश की बूंदों को एकत्र करने वाली इसी तकनीक से मात दे सकते हैं। ऐसे में आइए इस प्रक्रिया से जुड़े और आम आदमी के जेहन में उठने वाले सामान्य सवाल और उनके जवाब पर डालते हैं एक नजर:कौन लगा सकता है यह तकनीक?कोई भी लगवा सकता है।

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    पानी की किल्लत के समय में इससे न सिर्फ आपको पेयजल मिलेगा बल्कि भूजल स्तर में भी सुधार आएगा।कहां लगाई जाए?इसे घरों, अपार्टमेंट्स, सोसायटीज, स्कूलों, संस्थाओं और व्यावसायिक परिसरों के साथ कोई भी उस संरचना में लगाया जा सकता है जिसके पास कैचमेंट के रूप में छत या खुला क्षेत्र हो और बारिश के पानी को एकत्र कर सके। क्या यह सिर्फ नए भवनों के लिए है?कदापि नहीं, पहले से मौजूद भवनों में भी इसका इस्तेमाल संभव है।

    जलापूर्ति प्रणाली में थोड़े से बदलाव द्वारा समुचित इस्तेमाल संभव है।पानी कितना एकत्र होगा?यह मात्रा कैचमेंट एरिया, बारिश की मात्रा और ड्रेनेज/ संग्रहण प्रणाली पर निर्भर करती है। मान लीजिए दिल्ली में किसी मकान के छत का रकबा 100 वर्ग मीटर है। दिल्ली की औसत सालाना बारिश 600 मिमी है और 70 फीसद जल भंडारण कुशलता (वाष्पोत्सर्जन, संग्रहण आदि में होने वाले नुकसान को छोड़ दें) को लिया जाए तो कुल जल संग्रह की मात्रा इस प्रकार होगी।

    कुल मात्रा बराबर 100 गुणे 0.6 गुणे 0.7बराबर 42000 लीटरपांच सदस्यों वाले किसी परिवार की सालाना पेयजल जरूरत से यह मात्रा दोगुनी अधिक है। जिसकी औसत पेयजल जरूरत 10 लीटर प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन है। कितनी लगती है लागतकैचमेंट एरिया के आधार पर इसकी लागत अलग-अलग होती है। अगर बड़े भवनों (स्कूल, कॉलेज, सार्वजनिक इमारतों) में इसे उसकी डिजायन से एकीकृत कर दिया जाए तो भवन की कुल लागत में इसकी लागत बहुत मामूली होती है। अगर मौजूद भवन में इसे लगाया जाए तो अपेक्षाकृत यह थोड़ा महंगी पड़ती है क्योंकि अतिरिक्त प्लंबिंग करानी पड़ती है।

    हालांकि आवर्ती लाभ इस निवेश को कई गुना बढ़ा देते हैं। किस तरह के फिल्टर्स की जरूरत होती है?इस प्रणाली में विभिन्न प्रकार के फिल्टर्स का इस्तेमाल किया जाता है। यदि संग्रहीत पानी का इस्तेमाल सिर्फ शौचालय के फ्लशिंग में किया जाना है तो किसी भी फिल्टर की जरूरत नहीं होगी बशर्ते कैचमेंट एरिया को साफ-सुथरा रखा जाए। यदि बहुत आवश्यक हुआ तो छत से पानी के निकलने वाले बिंदु पर एक जाली लगा देनी चाहिए। क्या जमा पानी का सीधे पीने या खाना पकाने में इस्तेमाल उचित है? छत पर पड़ने वाली बारिश की बूंदें एकदम शुद्ध होती हैं। चूंकि संग्रहण स्थल तक पहुंचने में इसे कई सतहों से होकर गुजरना होता है तो कई तरह की गंदगी इसमें समाहित हो जाती है। इन प्रदूषकों को छानने के लिए कई तरह के फिल्टर्स (छलनी) का इस्तेमाल किया जा सकता है।