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    क्या फिर से होगा 'स्माइलिंग बुद्धा'? परमाणु परीक्षण को लेकर ट्रंप के बयानों से बढ़ी हलचल; भारत करेगा न्यूक्लियर टेस्ट?

    Updated: Mon, 08 Dec 2025 10:40 PM (IST)

    दुनिया में परमाणु ताकत दिखाने की होड़ के बीच, भारत एक अहम मोड़ पर है। 1998 के पोखरण-II टेस्ट के बाद, क्या भारत को फिर से परमाणु परीक्षण करना चाहिए? ट् ...और पढ़ें

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    परमाणु परीक्षण को लेकर ट्रंप के बयानों से बढ़ी हलचल भारत करेगा न्यूक्लियर टेस्ट (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दुनिया में बड़े देश एक बार फिर परमाणु ताकत दिखाने की दौड़ में उतरते दिख रहे हैं। ऐसे समय में भारत एक अहम मोड़ पर खड़ा है, क्या उसे दोबारा परमाणु परीक्षण करके अपनी रणनीतिक ताकत दिखानी चाहिए, या फिर वही संयम बनाए रखना चाहिए जिसने सालों से कूटनीति और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखा है? 1998 के पोखरण-II टेस्ट के बाद आज हालात फिर बदल रहे हैं और यही सवाल अब फिर सामने खड़ा है।

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    भारत की परमाणु यात्रा

    भारत ने पहली बार 1974 में ‘स्माइलिंग बुद्धा’ नाम से परमाणु परीक्षण किया था। इसके बाद 24 साल का लंबा अंतराल आया और 1998 में पोखरण-II परीक्षण हुए, जिसने भारत को खुले तौर पर परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया।

    अब उस ऐतिहासिक घटना को 27 साल होने वाले हैं। इस बीच दुनिया का रणनीतिक माहौल तेजी से बदल रहा है। खासकर तब जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप पाकिस्तान, चीन और रूस जैसे देशों पर गुप्त परमाणु परीक्षण करने का आरोप लगा चुके हैं।

    ट्रंप ने हाल ही में सोशल मीडिया पर दावा किया था कि दूसरे देश परमाणु परीक्षण कर रहे हैं और इसलिए उन्होंने अमेरिकी सेना को बराबरी के आधार पर फिर से परीक्षण शुरू करने का निर्देश दिया है। 60 मिनट्स (CBS) के इंटरव्यू में भी उन्होंने कहा कि अमेरिका को दूसरे देशों की तरह परीक्षण करने होंगे क्योंकि रूस, चीन, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान पहले से ये कर रहे हैं।

    लेकिन कुछ दिनों बाद अमेरिकी ऊर्जा मंत्री क्रिस राइट ने स्पष्ट किया कि अमेरिका असल में सब-क्रिटिकल टेस्ट करता है, जिसमें कोई परमाणु विस्फोट नहीं होता।

    क्या होते हैं सब-क्रिटिकल परीक्षण?

    • सब-क्रिटिकल टेस्ट में प्लूटोनियम जैसे परमाणु पदार्थों का इस्तेमाल होता है, लेकिन इतनी कम मात्रा में कि कोई चेन रिएक्शन या विस्फोट न हो।
    • इन टेस्ट में सामग्री को झटके या दबाव देकर यह देखा जाता है कि वह चरम हालात में कैसे व्यवहार करती है।
    • ये परीक्षण भूमिगत किए जाते हैं और इनमें कोई रेडियोधर्मी गैस बाहर नहीं निकलती, इसलिए इनका पता अंतरराष्ट्रीय मॉनिटरिंग सिस्टम को भी मुश्किल से लगता है।

    CTBT के इंटरनेशनल मॉनिटरिंग सिस्टम में भूकंपीय, ध्वनि और रेडियोधर्मी सेंसर होते हैं, जो बड़े विस्फोट पकड़ लेते हैं। लेकिन सब-क्रिटिकल टेस्ट बेहद कम ऊर्जा छोड़ते हैं और इनसे कोई धमाका या गैस नहीं निकलती, इसलिए इन्हें पकड़ना लगभग असंभव होता है। अक्सर ये तब तक पता नहीं चलते जब तक किसी देश की खुफिया एजेंसी खुद जानकारी न दे।

    अगर भारत आज परमाणु परीक्षण करे तो कैसा होगा?

    भारत के पास अब 1998 की तुलना में कहीं उन्नत तकनीक हैथर्मोन्यूक्लियर हथियार, छोटे-कॉम्पैक्ट वारहेड और आधुनिक मिसाइलों के लिए डिजाइन तैयार हैं। संभावना है कि भारत ज्यादा सटीक थर्मोन्यूक्लियर परीक्षण या उन्नत वारहेड डिजाइन की पुष्टि के लिए टेस्ट करे। साथ ही, भारत भी सब-क्रिटिकल टेस्ट और कंप्यूटर सिमुलेशन का उपयोग कर सकता है, लेकिन एक बड़ा परीक्षण स्पष्ट रणनीतिक संदेश देगा।

    पोखरण जैसा कोई भी खुला परीक्षण तुरंत दुनिया में पकड़ा जाएगा। इसके बाद अमेरिका 123 एग्रीमेंट के तहत भारत के साथ परमाणु सहयोग रोक सकता है। भारत को कूटनीतिक और आर्थिक दबावों का सामना करना पड़ सकता है।

    क्या है 123 एग्रीमेंट?

    2008 में भारत-अमेरिका के बीच हुआ 123 एग्रीमेंट भारत को वैश्विक परमाणु व्यापार का रास्ता देता है। इसके तहत भारत ने अपने नागरिक और सैन्य परमाणु ढांचे को अलग किया और नागरिक रिएक्टर IAEA की निगरानी में दिए। एग्रीमेंट के अनुसार, अगर भारत परमाणु विस्फोट करता है तो अमेरिका तुरंत सहयोग खत्म कर सकता है।

    जहां तक सब-क्रिटिकल टेस्ट का सवाल हैएग्रीमेंट में इनका सीधा जिक्र नहीं है, क्योंकि इनमें असली विस्फोट नहीं होता। इसलिए कानूनी तौर पर सब-क्रिटिकल टेस्ट “न्यूक्लियर एक्सप्लोजन की श्रेणी में नहीं आते।

    दुनिया में कौन-कौन से देश परमाणु शक्ति हैं?

    आज कुल 9 देश परमाणु हथियार रखते हैंअमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन, भारत, पाकिस्तान, इस्राइल और उत्तर कोरिया। दुनिया में कुल 12,331 वारहेड हैं, जिनमें से 9600 से ज्यादा सक्रिय सैन्य स्टॉक में हैं। रूस के पास लगभग 5500 और अमेरिका के पास 5177 हथियार हैंकुल दुनिया का 90% इन्हीं दो देशों के पास है।

    1945 के पहले टेस्ट से अब तक 2000 से ज्यादा परमाणु परीक्षण हो चुके हैं। सबसे बड़ा परीक्षण सोवियत संघ का Tsar Bombaथा, जिसकी ताकत लगभग 50-58 मेगाटन थी।

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