किस खेत में कब और कितनी करनी हैं सिंचाई, बताएगा डिवाइस; SGSITS के शोधार्थियों ने किया तैयार
इंदौर के गोविंदराम सेकसरिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी एंड साइंस के शोधार्थियों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस एक डिवाइस बनाया है। यह डिवाइस खेतों में मिट्टी की नमी को मापकर सिंचाई को स्वचालित करेगा जिससे पानी की बचत होगी। सेंसर मिट्टी की नमी का रियल टाइम डाटा भेजेंगे जिसके आधार पर एआई मॉडल मोटर को नियंत्रित करेगा।

भरत मानधन्या, जेएनएन, इंदौर। मौसम की प्रकृति के कारण मिट्टी की नमी में परिवर्तन होता रहता है। ऐसे में किसानों के लिए यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि किस फसल की कब और कितनी सिंचाई करनी है।
कम या अधिक पानी देने पर भी फसल को नुकसान हो सकता है। इन समस्याओं के समाधान के लिए गोविंदराम सेकसरिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी एंड साइंस (SGSITS) के शोधार्थियों ने एक डिवाइस तैयार किया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ सेंसर का उपयोग करके तैयार किए गए इस डिवाइस से किसी भी खेत का रियल टाइम डाटा हासिल किया जा सकता है।
यह डिवाइस एसजीएसआइटीएस के आईटी विभाग की प्रोफेसर डॉक्टर सुनीता वर्मा ने एमटेक की विद्यार्थी महक सिराज खान और ज्योति तिवारी के साथ मिलकर तैयार किया है। इसे स्मार्ट इरिगेशन विद एनोमाली डिटेक्शन नाम दिया गया है।
शोधार्थियों ने बताया कि आईटी से जुड़े एक शोध के दौरान उन्होंने किसानों की सिंचाई से जुड़ी समस्या को देखा था, तब उन्हें आईडिया आया कि एक ऐसे डिवाइस पर काम किया जाए, जो सिंचाई में किसानों की मदद करें और तकनीकी रूप से दक्ष हो। इसके बाद उन्होंने इंटरनेट ऑफ थिंग्स और एआई का उपयोग करते हुए इस पर काम किया, जिसका प्रोटोटाइप तैयार हो चुका है। इसकी टेस्टिंग भी कर ली गई है।
ऐसे काम करेगा डिवाइस
- शोधार्थियों के अनुसार, यह डिवाइस पानी की मोटर और बिजली के स्रोत से जुड़ा होगा।
- डिवाइस से वायरलेस साइल माइश्चर सेंसर जोड़े जाएंगे। ये सेंसर खेत में अलग-अलग स्थानों पर लगेंगे।
- सेंसर मिट्टी में मौजूद नमी की स्टडी करेंगे और इसका रियल टाइम डाटा डिवाइस को भेजेंगे।
- डिवाइस में मौजूद एआइ माडल इस डाटा की स्टडी करेगा और इस इसके आधार पर मोटर बंद और चालू होगी।
- यदि मिट्टी में नमी मौजूद है और कम पानी की जरूरत है तो मोटर जल्दी बंद हो जाएगी और यदि नमी कम और पानी की आवश्यकता अधिक है तो मोटर अधिक समय तक चलेगी।
- शोधार्थी इस डिवाइस के साथ एप्लीकेशन भी तैयार कर रहे हैं। यह डिवाइस से जुड़ी होगी। इसमें किसानों को सिंचाई से संबंधित जानकारी भी मिलेगी।
खेत की स्टडी भी की जाएगी
डिवाइस को खेत में लगाने से पूर्व खेत पूरी स्टडी की जाएगी और खेत का पूरा मैप बनेगा। चूंकि खेत में अलग-अलग स्थानों पर सेंसर लगाए जाएंगे, ऐसे में मैप के जरिए तय किए जाएगा कि किस स्थान पर सेंसर लगाना है।
सेंसर क्षमता के अनुसार, तय रेडियस एरिया की स्टडी कर डिवाइस को डाटा भेजेंगे। वहीं, फसल की कटाई के बाद जब खेत की जुताई होगी तो ये सेंसर आसानी से निकाले जा सकेंगे और इसके बाद दोबारा फिट भी किए जा सकेंगे।
30 प्रतिशत पानी की होगी बचत
डॉ. सुनीता वर्मा ने बताया कि आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, यदि मिट्टी में नमी में पहले से मौजूद है, तो सेंसर इसका विश्लेषण कर लेते हैं और किसान द्वारा तय अवधि से पूर्व ही डिवाइस मोटर को बंद कर देता है।
ऐसे में डिवाइस 30 प्रतिशत तक पानी की बचत करने में सक्षम है। शोधार्थियों ने बताया कि वे इस डिवाइस को स्टार्टअप के रूप में रजिस्टर करेंगे। किसानों के लिए उपलब्ध होने वाली डिवाइस की कीमत पांच हजार रुपए के करीब होगी।
सिंचाई के दौरान आने वाली समस्याओं को देखते हुए एमटेक के विद्यार्थियों के साथ मिलकर डिवाइस पर काम करना शुरू किया था। डिवाइस का हार्डवेयर हमने इंटरनेट आफ थिंग्स का उपयोग कर बनाया। एआइ माडल भी फीड किया है ताकि डिवाइस से मिल रहे रियल टाइम डाटा की स्टडी की जा सके। हमारा प्रयास है कि हम साल के अंत तक किसानों को यह डिवाइस उपलब्ध करवा सके। - डॉ. सुनीता वर्मा, प्रोफेसर, आइटी विभाग, एसजीएसआईटीएस
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।