कर्मचारियों को हफ्ते में एक दिन ट्रेडिशनल पहनना अनिवार्य, राज्य सरकार ने ड्रेस कोड को लेकर जारी किया नोटिफिकेशन
सिक्किम सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए ड्रेस कोड लागू कर दिया है। इस नियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस ड्रेस कोड का उद्देश्य कर्मचारियों में पारंपरिक मूल्यों को लाना है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सिक्किम में हर गुरुवार को दफ्तरों में पारंपरिक परिधान की चमक दिखेगी। सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए 'ट्रेडिशनल वेयर वर्क डे' की घोषणा कर दी है। माना जा रहा है कि राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को इससे नई ऊंचाई मिलेगी। गंगटोक से यह बड़ी खबर आ रही है कि अब हर गुरुवार को सरकारी दफ्तरों में पारंपरिक कपड़ों की रौनक दिखेगी।
सोमवार को जारी सर्कुलर के अनुसार, सिक्किम सरकार ने सभी सरकारी कर्मचारियों, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स (पीएसयू) और बैंकों के लिए यह नियम लागू किया है। इसका मकसद राज्य की अनोखी सांस्कृतिक पहचान पर गर्व पैदा करना और पारंपरिक मूल्यों को बढ़ावा देना है।
सांस्कृतिक गौरव का नया अध्याय
गृह विभाग के सर्कुलर में साफ कहा गया है कि सिक्किम की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और सदियों पुरानी परंपराएं राज्य की पहचान हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए हर गुरुवार को 'ट्रेडिशनल वेयर वर्क डे' मनाया जाएगा। सभी अधिकारी और कर्मचारी सिक्किम की विविध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाने वाले पारंपरिक परिधान पहनकर दफ्तर आएंगे। यह नियम तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है।
सर्कुलर में लिखा है, "सिक्किम की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और स्थायी परंपराओं को देखते हुए सरकार अपने कर्मचारियों और संबद्ध संगठनों में सांस्कृतिक विरासत पर गर्व पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसलिए सभी विभागों, पीएसयू और बैंकों के अधिकारी और कर्मचारी हर गुरुवार को राज्य की विविध सांस्कृतिक संरचना को दिखाने वाले पारंपरिक कपड़े पहनेंगे।"
प्रकृति की अनमोल धरोहर
इसके अलावा इंसानी संस्कृति के साथ-साथ सिक्किम की प्रकृति भी नई उपलब्धि की गवाह बनी है। राज्य में ब्लैक-स्पॉट रॉयल (तजुरिया ल्यूकुलेंटस) नामक दुर्लभ तितली की मौजूदगी की पुष्टि हुई है। इससे सिक्किम की पहले से ही प्रभावशाली तितली विविधता और समृद्ध हो गई है। अब यह तितली मणिपुर और मेघालय के साथ सिक्किम में भी पाई जाती है।
यह खोज मार्च-जून 2025 अंक के बायोनोट्स न्यूजलेटर में प्रकाशित हुई है, जो उत्तराखंड के भीमताल स्थित बटरफ्लाई रिसर्च सेंटर द्वारा पिछले महीने जारी किया गया। न्यूजलेटर के मुताबिक, ब्लैक-स्पॉट रॉयल पहले केवल मणिपुर, मेघालय और नेपाल में दर्ज थी।
दुर्लभ तितली का पहला सबूत कब मिला?
19 अप्रैल को उत्तर सिक्किम के जोंगु क्षेत्र में नोआम पानांग में फील्ड सर्वे के दौरान इस तितली को देखा गया। यह ऊंचे पेड़ पर फूलों का रस चूस रही थी और उसके साथ 30 से 35 अन्य तितली प्रजातियां भी मौजूद थीं। न्यूजलेटर में कहा गया है कि यह खोज तजुरिया ल्यूकुलेंटस की सिक्किम तक विस्तारित मौजूदगी की पुष्टि करती है।
सिक्किम के तितली शोधकर्ताओं सोनम वांगचुक लेप्चा, मोनिश कुमार थापा, सोनम पिंटसो शेरपा और नोसांग एम. लिंबू ने इस अध्ययन में योगदान दिया। यह राज्य से ब्लैक-स्पॉट रॉयल का पहला पक्का रिकॉर्ड है, जो सिक्किम की जैव विविधता को और चमकदार बनाता है।

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