Axiom Mission Live Updates: साथियों से गले मिले, ड्रिंक्स पी..., ISS का दरवाजा खुलने के बाद क्या हुआ? देखें ऐतिहासिक पल का वीडियो
Axiom Mission Live Updates: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla) और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री 28 घंटे की यात्रा के बाद स्पेस स्टेशन पहुंच गए हैं। शुभांशु अंतरिक्ष में सात प्रयोग करेंगे, जिनमें माइक्रोग्रैविटी का मांसपेशियों, फसलों के बीजों, टार्डीग्रेड्स, सूक्ष्म शैवाल, मूंग और मेथी के बीजों के अंकुरण, बैक्टीरिया और कंप्यूटर स्क्रीन के आंखों पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन शामिल है। यह शोध भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण होगा।
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Shubhanshu Shukla Mission : भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला स्पेस स्टेशन पहुंचे।(फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla) सहित चारों एस्ट्रोनॉट आज (गुरुवार) करीब 28 घंटे के सफर के बाद अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पहुंच चुके हैं। अंतरिक्ष यान 'ड्रैगन' के स्पेस स्टेशन से डॉकिंग के करीब 1 घंटे के बाद चारों अंतरिक्षयात्री स्पेस स्टेशन के अंदर दाखिल हुए। स्टेशन में मौजूद अन्य अंतरिक्षयात्रियों ने चारों का स्वागत किया।
स्पेस स्टेशन का दरवाजा खुलने के बाद शुभांशु सहित अन्य चारों अंतरिक्षयात्रियों का स्वागत किया गया। स्पेस स्टेशन में पहले से मौजूद अंतरिक्षयात्रियों ने चारों का स्वागत किया। फिर चारों ने ड्रिंक्स का लुत्फ उठाया। इसके बाद चारों ने अपने अनुभव साथी अंतरिक्षयात्रियों से साझा किए।
🚨 𝗚𝗿𝗽. 𝗖𝗽𝘁. 𝗦𝗵𝘂𝗯𝗵𝗮𝗻𝘀𝗵𝘂 𝗦𝗵𝘂𝗸𝗹𝗮 𝗵𝗮𝘀 𝗯𝗼𝗮𝗿𝗱𝗲𝗱 𝘁𝗵𝗲 𝗜𝗻𝘁𝗲𝗿𝗻𝗮𝘁𝗶𝗼𝗻𝗮𝗹 𝗦𝗽𝗮𝗰𝗲 𝗦𝘁𝗮𝘁𝗶𝗼𝗻!! 🇮🇳
— ISRO Spaceflight (@ISROSpaceflight) June 26, 2025
The crew of Axiom-4 have finally opened the hatch of the Crew Dragon capsule and entered into the ISS!
This makes Grp. Cpt. Shubhanshu… pic.twitter.com/QXIid6Uc5k
ISS पहुंचने वाले में भारत के दूसरे नागरिक बने शुभांशु
शुभांशु अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में कदम रखने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा सोवियत संघ के सल्युत- 7 स्पेस स्टेशन पर आठ दिन रहे थे। शुभांशु की यह यात्रा अमेरिका की प्राइवेट अंतरिक्ष कंपनी स्पेसअक्स द्वारा संचालित एक चार्टर्ड मिशन के तहत हुई है।
शुभांशु शुक्ला 14 दिनों तक स्पेस में रहेंगे। इस दौरान वो सात एक्सपेरिमेंट करेंगे। यह प्रयोग कई भारतीय संस्थानों की ओर से बढ़ाए गए हैं।
अंतरिक्ष में यह सात एक्सपेरिमेंट करेंगे शुभांशु
पहला रिसर्च
मायोजेनेसिस की स्टडी यानी अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी के मांसपेशियों पर असर का अध्ययन किया जाएगा। अंतरिक्ष में लंबा समय बिताने वाले अंतरिक्षयात्रियों की मांसपेशियां घटने लगती हैं. कमजोर पड़ने लगती हैं। सुनीता विलियम्स के साथ भी ऐसा ही हुआ था।
मायोजेनेसिस की स्टडी यानी अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी के मांसपेशियों पर असर का अध्ययन किया जाएगा। अंतरिक्ष में लंबा समय बिताने वाले अंतरिक्षयात्रियों की मांसपेशियां घटने लगती हैं. कमजोर पड़ने लगती हैं। सुनीता विलियम्स के साथ भी ऐसा ही हुआ था।
भारत के Institute of Stem Cell Science and Regenerative Medicine माइक्रोग्रैविटी में होने वाले इस प्रयोग के तहत मांसपेशियों से जुड़ी बीमारियों का आगे अध्ययन करेगा और ऐसे इलाज विकसित कर सकेगा। यह स्टडी भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए काफी कारगर होगा।
दूसरा रिसर्च
शुभांशु का दूसरा एक्सपेरिमेंट फसलों के बीजों से जुड़ा है। यह पता लगाया जाएगा कि माइक्रोग्रैविटी का बीजों के जेनेटिक गुणों पर क्या असर पड़ता है।
तीसरा रिसर्च
तीसरा एक्सपेरिमेंट आधे मिलीमीटर से छोटे जीव टार्डीग्रेड्स पर किया जाएगा। शुभांशु यह स्टडी करेंगे कि अंतरिक्ष में इस छोटे से जीव के शरीर पर क्या असर पड़ता है। टार्डीग्रेड्स को दुनिया का सबसे कठोर और सहनशील जीव माना जाता है. ये धरती पर 60 करोड़ साल से जी रहे हैं।
चौथा रिसर्च
शुभांशु चौथा रिसर्च माइक्रोएल्गी यानी सूक्ष्म शैवाल पर होगा। यह पता लगाया जाएगा कि माइक्रोएल्गी का माइक्रोग्रैविटी पर क्या असर प़ड़ता है। यह मीठे पानी और समुद्री वातावरण दोनों में पाए जाते हैं। पता लगाया जाएगा कि क्या भविष्य के लंबे मिशनों में अंतरिक्ष यात्रियों के पोषण में उनकी भूमिका हो सकती है।
दूसरा रिसर्च
शुभांशु का दूसरा एक्सपेरिमेंट फसलों के बीजों से जुड़ा है। यह पता लगाया जाएगा कि माइक्रोग्रैविटी का बीजों के जेनेटिक गुणों पर क्या असर पड़ता है।
तीसरा रिसर्च
तीसरा एक्सपेरिमेंट आधे मिलीमीटर से छोटे जीव टार्डीग्रेड्स पर किया जाएगा। शुभांशु यह स्टडी करेंगे कि अंतरिक्ष में इस छोटे से जीव के शरीर पर क्या असर पड़ता है। टार्डीग्रेड्स को दुनिया का सबसे कठोर और सहनशील जीव माना जाता है. ये धरती पर 60 करोड़ साल से जी रहे हैं।
चौथा रिसर्च
शुभांशु चौथा रिसर्च माइक्रोएल्गी यानी सूक्ष्म शैवाल पर होगा। यह पता लगाया जाएगा कि माइक्रोएल्गी का माइक्रोग्रैविटी पर क्या असर प़ड़ता है। यह मीठे पानी और समुद्री वातावरण दोनों में पाए जाते हैं। पता लगाया जाएगा कि क्या भविष्य के लंबे मिशनों में अंतरिक्ष यात्रियों के पोषण में उनकी भूमिका हो सकती है।
पांचवां रिसर्च
शुभांशु शुक्ला मूंग और मेथी के बीजों पर भी स्टडी करेंगे। माइक्रोग्रैविटी में बीजों के अंकुरण की प्रक्रिया का अध्ययन किया जाएगा। इस रिसर्च का उद्देश्य है कि अगर भविष्य में अंतरिक्ष में बीजों को अंकुरित करने की जरूरत पड़ी तो क्या यह संभव है।
शुभांशु शुक्ला मूंग और मेथी के बीजों पर भी स्टडी करेंगे। माइक्रोग्रैविटी में बीजों के अंकुरण की प्रक्रिया का अध्ययन किया जाएगा। इस रिसर्च का उद्देश्य है कि अगर भविष्य में अंतरिक्ष में बीजों को अंकुरित करने की जरूरत पड़ी तो क्या यह संभव है।
छठा रिसर्च
स्पेस स्टेशन में बैक्टीरिया की दो किस्मों पर रिसर्च करने से जुड़ा है।
सातवां रिसर्च
अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी की परिस्थितियों में कंप्यूटर स्क्रीन का आंखों पर कैसा असर पड़ता है। शुभांशु इस पर स्टडी करेंगे।
स्पेस स्टेशन में बैक्टीरिया की दो किस्मों पर रिसर्च करने से जुड़ा है।
सातवां रिसर्च
अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी की परिस्थितियों में कंप्यूटर स्क्रीन का आंखों पर कैसा असर पड़ता है। शुभांशु इस पर स्टडी करेंगे।
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