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    'स्पेस में फसलों की खेती...', Axiom-4 मिशन के दौरान अंतरिक्ष में क्या-क्या प्रयोग करेगा ISRO? सामने आई जानकारी

    Updated: Thu, 26 Jun 2025 09:34 AM (IST)

    भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला Axiom-4 मिशन के तहत 14 दिनों के लिए अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर हैं। 25 जून को लॉन्च हुए इस मिशन में ISRO अंतरिक्ष में कई महत्वपूर्ण प्रयोग करेगा। इनमें सायनोबैक्टीरिया, मांसपेशियों के नुकसान, फसलों की खेती, खाद्य माइक्रोएल्गी, मांसपेशी पुनर्जनन, बीजों का अंकुरण और टार्डिग्रेड्स की लचीलापन का अध्ययन शामिल है। ये प्रयोग भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों और पृथ्वी पर जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं।  

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    एक्सिओम मिशन के दौरान क्या-क्या प्रयोग करेगा इसरो (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में पहुंच गए हैं और वो 14 दिनों तक इंटरनेशन स्पेस स्टेशन (ISS) पर रहेंगे। इस दौरान वे कई तरह के प्रयोग भी करेंगे। Axiom-4 मिशन के तहत शुभांशु तीन विदेश अंतरिक्ष यात्रियों के साथ ISS पर गए हैं।

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    आठ बार तकनीकी खामियों की वजह से टलने के बाद इस मिशन को 25 जून को लॉन्च किया गया और इस सबकी नजर मिशन की सफलता पर है। आईए जानते हैं, इस मिशन के जरिए ISRO अंतरिक्ष में क्या-क्या प्रयोग करेगा...

    स्पेस में सायनोबैक्टीरिया का अध्ययन

    • ISRO और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के सहयोग से इस प्रयोग में दो प्रकार के सायनोबैक्टीरिया की वृद्धि और व्यवहार का अध्ययन किया जाएगा।
    • इनके प्रकाश संश्लेषण की क्षमता और लचीलापन का विश्लेषण होगा, जो भविष्य में चंद्रमा या मंगल पर जीवन समर्थन प्रणालियों के लिए उपयोगी हो सकता है।

    माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशियों के नुकसान का अध्ययन

    • यह प्रयोग माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशियों के नुकसान के कारणों और उपचार विधियों की जांच करेगा।
    • यह मंगल मिशनों के लिए अंतरिक्ष यात्रियों और पृथ्वी पर उम्र से संबंधित मांसपेशी हानि के रोगियों के लिए उपयोगी हो सकता है।

    स्पेस में फसलों की खेती

    • छह प्रकार के बीजों को अंतरिक्ष में ले जाया जाएगा ताकि उनके विकास का अध्ययन किया जा सके।
    • केरल कृषि विश्वविद्यालय के शोधकर्ता इन बीजों में आनुवंशिक गुणों का विश्लेषण करेंगे, जो भविष्य में अंतरिक्ष में खेती के लिए उपयोगी हो सकते हैं।

    माइक्रोग्रैविटी और विकिरण का खाद्य माइक्रोएल्गी पर प्रभाव

    • यह प्रयोग (ICGEB और NIPGR, भारत द्वारा) माइक्रोग्रैविटी और विकिरण के प्रभाव को खाद्य माइक्रोएल्गी पर जांचेगा, जो अंतरिक्ष में खाद्य स्रोत के रूप में महत्वपूर्ण हो सकता है।
    • इस मिशन में ISRO तीन तरह के शैवाल भेज रहा है। शैवाल पानी में पाया जाने वाला माइक्रोऑर्गेनिज़्म है।

    माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशी पुनर्जनन

    • इंस्टीट्यूट ऑफ स्टेम सेल साइंस एंड रीजनरेटिव मेडिसिन (InStem), भारत द्वारा प्रस्तावित, यह प्रयोग मेटाबोलिक सप्लीमेंट्स के प्रभाव को माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशी पुनर्जनन पर जांचेगा।

    स्पेस में अंकुरण

    • धारवाड़ के यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) धारवाड़ द्वारा प्रस्तावित, इस प्रयोग में मूंग (हरी दाल) और मेथी (फेनुग्रीक) के बीजों को माइक्रोग्रैविटी में अंकुरित किया जाएगा।
    • इनका औषधीय गुणों और अंतरिक्ष यात्रियों के पोषण के लिए महत्व का अध्ययन होगा।

    टार्डिग्रेड्स की लचीलापन

    • इस प्रयोग में टार्डिग्रेड्स (सूक्ष्म जीव) की माइक्रोग्रैविटी में जीवित रहने, पुनर्जनन, प्रजनन, और ट्रांसक्रिप्टोम की जांच की जाएगी।

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