Shubhanshu Shukla: अंतरिक्ष में किसान बने शुभांशु, ISS में क्यों उगाई मूंग और मेथी?
Shubhanshu Shukla भारतीय अंतरिक्षयात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) पर मूंग और मेथी उगाई है जिसकी तस्वीर उन्होंने साझा की है। एक्सिओम-4 मिशन के तहत वे 26 जून से आइएसएस पर हैं। उन्होंने यह कार्य सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के अंकुरण और पौधों के विकास पर प्रभाव का अध्ययन करने के लिए किया है।

पीटीआई, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) पर अपने प्रवास के अंतिम चरण में भारतीय अंतरिक्षयात्री शुभांशु शुक्ला किसान बन गए हैं। उन्होंने पेट्री डिश में मूंग और मेथी उगाई है, जिसे आइएसएस के फ्रीजर में रखा है। उन्होंने इसकी तस्वीर साझा की है।
एक्सिओम-4 मिशन के तहत 26 जून से शुभांशु आइएसएस पर हैं और यहां 12 दिन गुजार चुके हैं। फ्लोरिडा तट पर मौसम की स्थिति के आधार पर 10 जुलाई के बाद किसी भी दिन उनकी धरती पर वापसी हो सकती है।
हालांकि, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अभी तक आइएसएस से एक्सिओम-4 के अलग होने की तिथि की घोषणा नहीं की है। शुभांशु आइएसएस पर पहुंचने वाले पहले भारतीय हैं। आइएसएस पर 14 दिनों के लिए गए शुभांशु ने यह कार्य एक अध्ययन के तहत किया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण अंकुरण और पौधों के प्रारंभिक विकास को कैसे प्रभावित करता है।
उन्होंने बुधवार को एक्सिओम स्पेस की मुख्य विज्ञानी लूसी लो के साथ बातचीत में कहा, 'मुझे बहुत गर्व है कि इसरो देशभर के राष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग करने और कुछ शानदार शोध करने में सक्षम रहा है, जो मैं सभी विज्ञानियों और शोधकर्ताओं के लिए आइएसएस पर कर रहा हूं। ऐसा करना रोमांचक और आनंददायक है।' उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष केंद्र पर उनके अनुसंधान कार्य विभिन्न क्षेत्रों और विषयों में फैले हुए हैं।
प्रयोग का नेतृत्व कर रहे दो भारतीय विज्ञानी
मेथी और मूंग के बीज अंकुरित करने के प्रयोग का नेतृत्व दो विज्ञानी कर्नाटक के धारवाड़ स्थित कृषि विश्वविद्यालय में कार्यरत रविकुमार होसामणि और यहीं स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के सुधीर सिद्धपुरेड्डी कर रहे हैं।
एक्सिओम स्पेस की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि धरती पर लौटने के बाद बीजों को कई पीढ़िया तक उगाया जाएगा ताकि उनके आनुवंशिकी, सूक्ष्मजीवी पारिस्थितिकी तंत्र और पोषण प्रोफाइल में होने वाले बदलावों का पता लगाया जा सके। एक अन्य प्रयोग के तहत शुभांशु सूक्ष्म शैवाल ले गए हैं, जिनकी भोजन, आक्सीजन और यहां तक कि जैव ईंधन उत्पन्न करने की क्षमता की जांच की जा रही है।
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