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    'नो मीन्स नो...', शशि थरूर ने पेश किया मैरिटल रेप अपराध बताने वाला विधेयक

    Updated: Sat, 06 Dec 2025 09:35 AM (IST)

    कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने लोकसभा में तीन निजी विधेयक पेश किए, जिनमें वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाने का प्रस्ताव सबसे अहम है। थरूर ने कहा कि विवाह के ...और पढ़ें

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    शशि थरूर, कांग्रेस सांसद। (फोटो- एएनआई)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पार्टी लाइन से इतर अपनी बयानबाजी को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाले कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने लोकसभा में तीन निजी विधेयक यानी प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया है। इसमें सबसे अहम बिल वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाने का है।

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    दरअसल, शशि थरूर ने कहा कि शादी के बाद भी किसी भी और की शरीर पर उसकी ही मर्जी चलनी चाहिए। कानून को यह मान्यता देनी होगी। थरूर ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत को अपने संवैधानिक मूल्यों को कायम रखना चाहिए।

    'वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में रखने का सुझाव'

    बता दें कि केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। थरूर ने बीएनएस में संशोधन के लिए लोकसभा में निजी विधेयक भी पेश किया। ज्ञात हो कि निजी विधेयक वह बिल होता है, जिसे संसद का कोई सदस्य पेश करता है, जो मंत्री नहीं है।

    अपने एक्स पोस्ट में शशि थरूर ने कहा कि भारत को अपने संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखना चाहिए और 'ना का मतलब ना' से सिर्फ हां होने की ओर बढ़ना चाहिए। उन्होंने लिखा कि हर महिला को विवाह संबंध के दायरे में शारीरिक स्वायत्तता और गरिमा का मौलिक अधिकार मिलना ही चाहिए। कांग्रेस सांसद ने यह भी कहा कि मैरिटल रेप शादी के बारे में नहीं, बल्कि हिंसा के बारे में है। अब कार्रवाई का समय आ गया है।

    शशि थरूर ने दो अन्य विधेयक भी पेश किए

    इससे पहले थरूर ने दो अन्य गैर सरकारी विधेयक पेश किए हैं। इन दो अन्य बिलों में पहला राज्यों के पुनर्गठन के लिए स्थाई आयोग से जुड़ा है। इसका मुख्य उद्देश्य भविष्य में नए राज्य बनाने या मौजूदा राज्यों की सीमाएं बदलने का कोई भी फैसला डाटा, जनगणना, आर्थिक व्यवहार्यता, राष्ट्रीय एकता और लोगों की राय के आधार पर करना है।

    वहीं, शशि थरूर ने जो तीसरा निजी विधेयक पेश किया है, वह काम करने वाले लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा है। इस बिल को उन्होंने राइट टू डिस्कनेक्ट नाम दिया है। अपने पोस्ट में थरूर ने लिखा कि भारत की 51 प्रतिशत आबादी हफ्ते में 49 घंटे से अधिक काम करती है। वहीं, 78 प्रतिशत लोग बर्नआउट का शिकार हैं। हमें काम के घंटे को सीमित करने के लिए राइट टु डिस्कनेक्ट को कानूनी मान्यता देने पर काम करना चाहिए। 

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