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    'आप इतने टची क्यों हो रहे हैं', पीएम मोदी पर थरूर के बिच्छू वाली टिप्पणी केस में बोला सुप्रीम कोर्ट

    Updated: Fri, 01 Aug 2025 06:04 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर के खिलाफ मानहानि मामले में सुनवाई अदालत की कार्यवाही पर रोक बढ़ा दी है। यह मामला प्रधानमंत्री मोदी के मंदिर में पूजा के दौरान थरूर की शिवलिंग पर बिच्छू टिप्पणी से जुड़ा है। जस्टिस सुंदरेश और जस्टिस सिंह की पीठ ने सुनवाई 15 सितंबर तक स्थगित कर दी। थरूर ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी।

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    पीठ ने शुक्रवार को थरूर के वकील की मांग पर मामले को स्थगित करने का आदेश दिया। (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर के खिलाफ एक मानहानि मामले में सुनवाई अदालत की कार्यवाही पर रोक को बढ़ा दिया है।

    यह मामला थरूर की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक मंदिर में पूजा करने के दौरान उनको लक्षित करते हुए की गई 'शिवलिंग पर बिच्छू' टिप्पणी के लिए दायर किया गया था।

    जस्टिस एमएम सुंदरेश और एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने शुक्रवार को थरूर के वकील की मांग पर मामले को स्थगित करने का आदेश दिया। शिकायतकर्ता के वकील भाजपा नेता राजीव बब्बर ने किसी अलग दिन पर सुनवाई की मांग की।

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    'आप इतने टची क्यों हो रहे हैं...'

    पीठ ने कहा, 'कौन सा अलग दिन? आप इसपर इतना संवेदनशील (टची) क्यों हैं? चलिए, इसे खत्म करते हैं' और मामले की सुनवाई 15 सितंबर के लिए निर्धारित की।

    थरूर ने दिल्ली हाई कोर्ट के 29 अगस्त, 2024 के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी, जिसने उनके खिलाफ मानहानि कार्यवाही को रद करने से इनकार कर दिया था और उन्हें 10 सितंबर को सुनवाई अदालत में पेश होने के लिए कहा था।

    थरूर के वकील ने पहले तर्क किया था कि न तो शिकायतकर्ता और न ही राजनीतिक पार्टी के सदस्य को पीडि़त पक्ष कहा जा सकता है। वकील ने कहा कि थरूर की टिप्पणी मानहानि कानून के इम्युनिटी क्लाज के तहत सुरक्षित है, जो यह अनुबंध करता है कि 'अच्छे विश्वास' में की गई कोई भी टिप्पणी आपराधिक नहीं होती। थरूर ने कहा था कि उन्होंने केवल छह साल पहले प्रकाशित एक लेख का संदर्भ दिया था।

    पता नहीं क्यों आपत्ति जताई गई: सुप्रीम कोर्ट

    शीर्ष अदालत ने आश्चर्य व्यक्त किया कि 2012 में, जब लेख मूल रूप से प्रकाशित हुआ था, तब इस टिप्पणी को मानहानिकारक नहीं माना गया था।

    जस्टिस राय ने पहले कहा था, 'आखिरकार, यह एक उपमा है। मैंने समझने की कोशिश की है। यह उस व्यक्ति (मोदी) की अजेयता का संदर्भ देती है। मुझे नहीं पता कि किसी ने यहां आपत्ति क्यों उठाई।'' जब हाई कोर्ट ने थरूर के खिलाफ कार्यवाही को रद करने से इनकार किया, तो उसने कहा कि ''शिवलिंग पर बिच्छू'' जैसी टिप्पणियां प्रधानमंत्री के खिलाफ ''घृणित और निंदनीय'' हैं।

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