खिलाई पूढ़ी-सब्जी, बिल थमाया 14 किलो काजू और बादाम का... MP के शहडोह में अधिकारियों का गजब कारनामा
शहडोल जिले में जल चौपाल के दौरान अधिकारियों की ओर से 14 किलो सूखे मेवे खाने का मामला सामने आया है। जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत गोहपारू ब्लाक के भदवाही ग्राम पंचायत में ग्रामीणों को जल के फायदे बताने के लिए अधिकारी जुटे थे। ग्रामीणों को पूड़ी-सब्जी खिलाई गई लेकिन बिल सूखे मेवे का बनवाया गया जिसकी राशि 19 हजार 10 रुपये है।

जेएनएन, शहडोल। शहडोल जिले में स्कूल पोताई के नाम पर हुए घोटाले की जांच पूरी नहीं हो पाई थी कि अब जल चौपाल की एक बैठक में आए चार से पांच अधिकारियों की ओर से 14 किलो ड्राय फ्रूट (सूखे मेवे) खाने का मामला सामने आया है।
जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत गोहपारू ब्लाक के भदवाही ग्राम पंचायत में हुई जल चौपाल में ग्रामीणों को जल के फायदे बताने के लिए यह अधिकारी जुटे थे। चौंकाने वाली बात यह है कि कार्यक्रम में प्रभारी जिला पंचायत सीईओ मुद्रिका सिंह स्वयं मौजूद थे, लेकिन अब वे इस बिल को लेकर हैरत जता रहे हैं। कार्यक्रम में कलेक्टर, एसडीएम सहित कई अधिकारी शामिल हुए थे। कलेक्टर केदार सिंह ने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि अभी कोई जानकारी नहीं है। सीईओ ही बेहतर बता पाएंगे।
पूड़ी-सब्जी खिलाई, बिल सूखे मेवे का बनवाया
जल चौपाल के आयोजन में अधिकारी और ग्रामीण शामिल हुए थे। इस दौरान ग्रामीणों को खिचड़ी, पूड़ी और सब्जी खिलाई गई और जो बिल जारी किए गए, उसमें ड्राय फ्रूट का खर्च दिखाया गया। ग्राम पंचायत के नाम पर आए बिल की राशि 19 हजार 10 रुपये का भुगतान भी कर दिया गया है।
कीमतों में दिखा अंतर
बिल में काजू की कीमत में बड़ा अंतर देखने में आया है। एक किलो काजू एक हजार रुपये में खरीदे गए, जबकि काजू के दाम 600 से 650 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं। किराना व्यापारी के बिल में पांच किलो काजू, छह किलो बादाम और तीन किलो किशमिश का उल्लेख है। अन्य सामग्री में 30 किलो नमकीन और 20 पैकेट बिस्किट का भी खर्च शामिल है। इसके अलावा छह लीटर दूध में पांच किलो शकर मिलाकर चाय बनाकर भी पिलाई गई है।
वहीं सरकारी अमला दावा कर रहा है कि यह अभियान जनसहयोग से चल रहा है। इसके लिए कोई बजट नहीं आया है। गोविंद गुप्ता किराना स्टोर, ग्राम भर्री की ओर से यह बिल ग्राम पंचायत भदवाही के नाम पर भेजा गया है। बिल में तारीख 20 मई 2025 उल्लेखित है।
मामले ने पकड़ा तूल
बिल सामने आने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है। यह था आयोजन का उद्देश्यजल गंगा संवर्धन अभियान का उद्देश्य गांवों में जल संरचनाओं की सफाई करना था। इस अभियान के तहत सरकार ने गांवों में कुएं, तालाब और नदियों की सफाई का कार्य अभियान चलाकर 30 जून तक किया था। प्रदेश के सभी जिलों में इस तरह के आयोजन हुए थे।
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