कार बेचते समय न करें ये गलतियां, यूज्ड कार बाजार की सबसे बड़ी खामियां उजागर; दिल्ली कार ब्लास्ट है बड़ी मिसाल
अगर आपने अपनी कार बेच दी है, तो भी आप मुसीबत में पड़ सकते हैं। यूज्ड कार बाजार में कई गड़बड़ियां हैं, जैसे कि RC पहले मालिक के नाम पर रहना। डीलर ब्लैंक सेल लेटर का इस्तेमाल करते हैं। दुर्घटना होने पर पुलिस पहले मालिक तक पहुंचती है। सरकार ने नए नियम लागू किए हैं, लेकिन उनका पालन अधूरा है। कार बेचते समय सावधानी बरतें।

कार बेचते समय न करें ये गलतियां (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अगर आपने अपनी कार बेच दी है तो भी वह कार आपको किसी बड़े मुसीबत में डाल सकती है। रेड फोर्ट के पास 10 नवंबर को जली हुई Hyundai i20 इसका बड़ा उदाहरण है। यह कार चार बार बेची जा चुकी थी, लेकिन उसक कागज अभी भी 2014 वाले पहले मालिक के नाम पर थे। भारत का यूज्ड कार बाजार तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन उतनी ही तेजी से इसमें गड़बड़ियां भी बढ़ रही है।
दिल्ली के रोहिणी में पुराने वाहनों के डीलर एन. सिंह रोज ऐसी ही व्यवस्थाएं देखते हैं। वह बताते हैं कि कई बार कार बेचने वाला व्यक्ति दूसरा या तीसरा मालिक होता है, लेकिन RC (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) अभी भी पहले मालिक के नाम पर ही रहता है।
जांच में क्या-क्या है शामिल?
उन्होंने बताया कि वो खुद भी पूरी तरह जांच करके ही कार खरीदते हैं। इन जांचों में आधार की सरकारी ऐप से वेरिफिकेशन, VIN नंबर की जांच और भुगतान सिर्फ उी अकाउंट में जो RC पर दर्ज है शामिल है। लेकिन वे मानते हं कि ज्यादातर बाजार इस नियम पर नहीं चलता। उन्होंने बताया कि कई डीलर सिर्फ आधार या पैन देखकर कार खरीद लेते हैं।

बाजार में आम तरीका है ब्लैंक सेल लेटर, यानी पहले से साइन किए हुए फॉर्म जिनमें खरीदार का नाम बाद में भरा जाता है। डीलर ऐसा इसलिए करते हैं कि अगर कार अपने नाम कर लें तो अगला मालिक बढ़ जाता है और कार की कीमत कम हो जाती है।
पहले मालिक के फंसने का है डर
ऐसा भी होता है कि कार कई बार डीलरों के बीच बेच दी जाती है, लेकिन कागज पर एक भी बार मालिक नहीं बदलता। अगर बाद में कार दुर्घटना, अपराध या किसी विवाद में फंस जाए तो पुलिस सीधे RC वाले पहले मालिक तक ही पहुंचती है।
दिल्ली के मोती नगर में Galaxy Cars के मालिक अरहान ने बताया कि लोग अक्सर ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी नहीं करते। अगर कार एक ही शहर में बिकी है तो ठीक, लेकिन दूसरे राज्य में जाने पर नया नंबर और रजिस्ट्रेशन जरूरी है और लोग झंझट नहीं करते।

उन्होंने बताया कि असली मालिक तब तक पूरी तरह जिम्मेदार रहता है अगर कार चालान, गलत इस्तेमाल, अपराध या हादसे की स्थिति में शामिल हो जाए। अरहान ने कहा, "ट्रांसफर तभी पूरा होता है जब पुराने मालिक के मोबाइल पर आए OTP से प्रक्रिया खत्म होती है।"
सरकार ने नियमों में किया था बदलाव
- 2022 में केंद्र सरकार ने यूज्ड कार बाजार को व्यवस्थित करे के लिए नए नियम लागू किए।
- अब हर डीलर को ऑथराइजेशन सर्टिफिकेट लेना जरूरी है और उनके पास मौजूद हर कार की ई-ट्रिप रजिस्टर में डिजिटल एंट्री रखना भी अनिवार्य है।
- डीलरों को मालिक की ओर से RC रिन्यू कराने, NOC लेने या फिटनेस करवाने की अनुमति भी दी गई है।
- लेकिन इन नियमों का पालन अभी भी अधूरा है।

गुरुग्राम की पत्रकार सुमेधा शर्मा ने अपनी 10 साल पुरानी डीजल कार ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से बेची थी। प्लेटफॉर्म ने उनसे खाली फॉर्म पर साइन करवाए, लेकिन बाद में उनके आधार और PAN की जानकारी अजनबियों तक पहुंच गई। उन्होंने बताया कि अजनबी लोग गुजरात से कॉल करके उन्हें RTO आने के लिए दबाव डालने लगे और धमकी तक देने लगे। वे आज भी नहीं जानती कि उनकी कार किसके पास है।
RTO अधिकारी और पुलिस की सलाह
रिटायर्ड RTO अधिकारी का कहना है कि कार बेचने के 14 दिनों के भीतर Form 29 जमा कराना अनिवार्य है। यह साबित करता है कि वाहन अब आपकी जिम्मेदारी नहीं है।

पुलिस अधिकारियों का सुझाव है कि Form 30 पर भी तुरंत साइन कराएं और नया RC मिलने तक लगातार फॉलो-अप करें। अगर खरीदार टालमटोल करे या गायब हो जाए तो तुरंत लिखित शिकायत दर्ज कराए ताकि आपके प्रयास का रिकॉर्ड रहे।

सुरक्षा के लिए ये कदम हैं जरूरी
- खुद आधार वेरिफाई करें, सिर्फ फोटो ID देखकर भरोसा न करें।
- RC और बैंक खाते का नाम मैच कराकरही पैसा भेजें।
- ब्लैंक सेल लेटर कभी साइन न करें।
- सही सेल एग्रीमेंट और भुगतान की रसीद बनवाएं।
- VIN, चालान, NOC, लोन और दुर्घटना/ चोरी के रिकॉर्ड ऑनलाइन जांचे।
- कोशिश करें कि कार अधिकृत डीलर से ही खरीदें/ बेचें।

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