Gram Panchayats: महाराष्ट्र की ग्राम पंचायतों ने किया कमाल, घोटी और पाटोदा गांव बने देश के लिए मिसाल
महाराष्ट्र की कुछ ग्राम पंचायतें देश के अन्य निकायों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रही हैं। नाशिक जिले की घोटी ग्राम पंचायत का प्रति व्यक्ति ओएसआर 1300 रुपये है जबकि राष्ट्रीय औसत 59 रुपये है। छत्रपति संभाजीनगर की पाटोदा ग्राम पंचायत सुशासन का उदाहरण है जहां समय पर टैक्स देने वालों को प्रोत्साहन दिया जाता है।

जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। यह चुनौती दशकों पुरानी है कि शहरी और ग्रामीण निकाय आत्मनिर्भर कैसे बनें। सरकारी अनुदान पर निकायों की निर्भरता को लेकर नीति आयोग भी चिंता जता चुका है, लेकिन शायद इच्छाशक्ति या सोच की ही कमी है कि यह संभव नहीं हो पा रहा।
ऐसे में महाराष्ट्र की कुछ ग्राम पंचायतें देशभर के निकायों को आईना दिखा रही हैं या कहें कि उम्मीद की राह दिखा रही हैं। देश की ग्राम पंचायतों के ओएसआर (अपने संसाधनों से आय) का राष्ट्रीय औसत जहां मात्र 59 रुपये है, वहीं नाशिक जिले के इगतपुरी तालुका की घोटी ग्राम पंचायत में यह आंकड़ा लगभग 1300 रुपये है।
इसी तरह समय से टैक्स जुटाने वाले करदाताओं को कैसे प्रोत्साहन और सुविधाएं दी जाएं, सुशासन का मॉडल कैसा हो और सामाजिक सुधारों की दिशा में कैसे बढ़ा जा सकता है, इसका अद्वितीय उदाहरण छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद) की पाटोदा ग्राम पंचायत है।
लगभग 24 हजार आबादी वाली घोटी ग्राम पंचायत का कार्यालय किसी बड़े बैंक जैसा लग रहा था। देशभर में स्थानीय निकाय जहां कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे हैं, वहीं इस पंचायत कार्यालय में स्थायी व अस्थायी मिलाकर कुल 95 कर्मी कार्यरत हैं। यहां बैठी टीम के सदस्यों ने बताया कि पंचायत संपत्ति कर, जल कर, स्वच्छता कर, मनोरंजन कर, प्रकाश व व्यापार कर वसूलती है।
पांच टीमें कर संग्रह में लगाई गई
इसके अलावा स्टांप ड्यूटी, प्रमाण पत्र शुल्क, विशेष सामुदायिक शुल्क, पंचायत संपत्तियों का किराया, विकास शुल्क और कस्टम टैक्स की प्रतिपूर्ति के रूप में भी राजस्व संग्रह करती है। बीते वित्तीय वर्ष में पंचायत ने लगभग 32 करोड़ रुपये का राजस्व अपने संसाधनों से जुटाया।
इसके लिए पांच टीमें कर संग्रह में लगाई गई हैं। पंचायत क्षेत्र में तीन भागों में बांटा गया है। टैक्स डिमांड बिल शत-प्रतिशत बनते हैं और समय पर वितरित होते हैं। सितंबर से पहले टैक्स जमा करने वालों को पांच प्रतिशत की छूट दी जाती है। समय पर टैक्स चुकाने वालों को ही सरकार की लाभकारी योजनओं में प्राथमिकता दी जाती है।
साल 2007 में ही पाटोदा बन गया था शौच मुक्त पंचायत
वहीं, सुशासन की बात करें तो छत्रपति संभाजीनगर ग्राम पंचायत पाटोदा की कुल आबादी 3350 है। इस पंचायत ने सुधारों की दिशा में कई दशक पहले काम शुरू कर दिया था। यह महाराष्ट्र सरकार के ग्राम पंचायत ब्रांड एम्बेसडर भाष्कर राव पेरे पाटिल का गांव है। वह बताते हैं कि स्वच्छता अभियान 1972 से चल रहा है और 2007 में ही पंचायत खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित हो गई थी।
डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन है। घर-घर न सिर्फ नल से जल पहुंचा दिया, बल्कि हर नल पर मीटर लगा है। स्वाभाविक सवाल है कि इतना पैसा कहां से आता है? तो जवाब है कि जल कर के अलावा प्रत्येक घर कम से कम चार हजार रुपये संपत्ति कर प्रति वर्ष देता है।
टैक्स देने के प्रति ग्रामीण उत्साहित हों, इसके लिए उन्हें पंचायत की ओर से हर दिन वाटर एटीएम से 20 लीटर आरओ वाटर, पांच लीटर एल्कलाइन वाटर, आटा पिसाई, दाल-मसालों की पिसाई आदि की सुविधा, गांव की प्रत्येक महिला को सेनेटरी पैड निश्शुल्क दिया जाता है।
- यह सामाजिक सुधार- अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियों की जगह उपलों का प्रयोग।
- गांव के सारे संपत्ति रिकॉर्ड संशोधित कर पति-पत्नी का साझा स्वामित्व दस्तावेजों में चढ़ाया है।
- परिजनों से परेशान बुजुर्गों के लिए पंचायत की निश्शुल्क रसोई।
- महिलाओं-बच्चों की सुरक्षा के लिए गांव के कोने-कोन में सीसीटीवी कैमरे।
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