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    SEBI का रिएल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाने का फैसला, वित्त मंत्रालय के साथ कर रहा है विमर्श

    Updated: Fri, 21 Nov 2025 07:52 PM (IST)

    सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने कहा कि रिएल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए सेबी नियमों को लागू करने पर विचार कर रहा है। संस्थागत निवेशकों को आरईआइटी और आइएनवीआइटी में सक्रिय रूप से जोड़ने की जरूरत है। सेबी वित्त मंत्रालय और राज्य सरकारों के साथ समन्वय स्थापित कर रहा है। सेबी रिट्स को निफ्टी व सेंसेक्स में शामिल करने की दिशा में भी काम कर रहा है।

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    SEBI का रिएल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाने का फैसला (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रिएल स्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश को लेकर जिस तरह से पिछले कुछ वर्षों में निवेशक आगे आये हैं, उसको देखते हुए बाजार नियामक एजेंसी भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड (सेबी) भी उत्साहित है और इसे बढ़ावा देने के लिए शीघ्र ही आवश्यक नियमों को लागू करने पर विचार कर रही है।

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    इस बात की जानकारी सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने शुक्रवार को रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट्स (आरईआइटी) और इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट्स (आइएनवीआइटी) पर आयोजित एक कार्यक्रम में दी। सेबी चेयरमैन ने कहा कि संस्थागत निवेशकों को इन दोनों प्लेटफॉ‌र्म्स में बड़ी भागीदारी के लिए सक्रिय रूप से जोड़ने की जरूरत है।

    किस-किस के साथ समन्वय स्थापित कर रहा सेबी?

    इसके लिए सेबी वित्त मंत्रालय और कई राज्य सरकारों के साथ समन्वय स्थापित कर रहा है। आरईआइटी (रिट्स) व आइएनवीआइटी (इनविट्स) भारत में निवेश का एक आधुनिक और पारदर्शी तरीका हैं। ये ऐसे न्यास या ट्रस्ट होते हैं जो निवेशकों से जमा की गई राशि कमर्शियल रियल एस्टेट संपत्तियों (ऑफिस बिल्डिंग, मॉल, आईटी पार्क आदि) में निवेश करते हैं।

    ये किराए से होने वाली आय का कम से कम 90 फीसद हिस्सा यूनिट धारकों (निवेशकों) को वितरित करते हैं। आम निवेशक बिना पूरी बिल्डिंग खरीदे रियल एस्टेट में हिस्सेदारी ले सकता है और नियमित डिविडेंड पा सकता है। इसी तरह से आइएनवीआइटी इंफ्रास्ट्रक्चर संपत्तियों जैसे राजमार्गों, बिजली ट्रांसमिशन, दूरसंचार आदि में निवेश करते हैं। ये भी अधिकांश आय निवेशकों में बांटते हैं।

    सेबी चेयरमैन ने क्या कहा?

    इनका मकसद लंबी अवधि की स्थिर आय और पूंजी वृद्धि देना है। दोनों ही स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड होते हैं, इसलिए इन्हें आसानी से खरीदा-बेचा जा सकता है। सेबी चेयरमैन पांडे ने बताया कि सेबी अब रिट्स को निफ्टी व सेंसेक्स जैसे सूचकांकों में शामिल करने की दिशा में काम कर रहा है। इसके लिए उचित “ग्लाइड पाथ'' तैयार किया जाएगा ताकि अचानक प्रभाव न पड़े।

    उद्योग जगत के फीडबैक पर कई और सुगमता के उपायों पर विचार हो रहा है। उन्होंने संकेत दिये कि रिट्स और इनविट्स की तरफ से जिस तरह से म्यूचुअल फंड स्कीमों में निवेश किये जाते हैं, उनकी संख्या बढ़ाई जाएगी लेकिन इस बात का पूरा ख्याल रखा जाएगा कि निवेशक हितों की पूरी सुरक्षा हो।

    ज्यादा निवेश का मिलेगा मौका

    इसी तरह से इनविट्स को सीधे नए इंफ्रा परियोजनाओं (ग्रीनफील्ड) में निवेश की अनुमति पर विचार किया जा रहा है। यहां भी सेबी यह सुनिश्चित करेगा कि निवेशकों के हितों की अधिकतम सुरक्षा हो। हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट बनाने की घोषणा की है जिसे राज्य स्तर पर बुनियादी सुविधाओं के लिए फंडिंग जुटाने के एक नये विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है।

    एनएचएआइ भी अपना सार्वजनिक इनविट लांच करने जा रहा है जिसमें आम खुदरा व घरेलू निवेशक भी निवेश कर सकेंगे। सेबी चेयरमैन ने इसे “सार्वजनिक भागीदारी का नया युग'' बताते हुए कहा कि आइआरडीए, पीएफआरडीए व ईपीएफओ जैसे नियामकों के साथ भी बात चल रही है ताकि उनके अधीन आने वाली बीमा कंपनियां, पेंशन फंड और भविष्य निधि संस्थान इनमें ज्यादा निवेश कर सकें।

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