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    Year Ender 2024: बिलकिस बानो... चाइल्ड पॉर्न और बुलडोजर एक्शन, सुप्रीम कोर्ट के वो बड़े फैसले जो देश के लिए बने मिसाल

    Supreme Court 2024 verdicts सुप्रीम कोर्ट के इस साल के कई फैसलों ने देश की राजनीति भी बदली तो वहीं कुछ फैसलों से निचले तबके तक को बड़ा फायदा पहुंचा। सर्वोच्च न्यायालय ने निचली अदालतों के कुछ फैसलों की समीक्षा की तो वहीं कुछ हाईकोर्ट के फैसलों को भी पलटा। आज हम आपको बताएंगे कि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल कौन से बड़े फैसले सुनाए...

    By Jagran News Edited By: Mahen Khanna Updated: Tue, 17 Dec 2024 07:46 PM (IST)
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    Supreme Court 2024 verdicts इस साल सुप्रीम कोर्ट ने कई बड़े फैसले सुनाए। (फोटो- जागरण ग्राफिक्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Supreme Court 2024 verdicts बिलकिस बानो के दोषियों की सजा माफी रद्द करना हो, आरक्षण से जुड़ा मामला हो या चाइल्ड पोर्नोग्राफी... सुप्रीम कोर्ट ने इस साल कई बड़े फैसले सुनाए जो समाज के लिए मिसाल बने। इन फैसलों ने देश के लिए नई दिशा कायम की।

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    सुप्रीम कोर्ट के इस साल के कई फैसलों ने तो देश की राजनीति भी बदली तो वहीं कुछ फैसलों से निचले तबके तक को बड़ा फायदा पहुंचा। इस साल सर्वोच्च न्यायालय ने निचली अदालतों के कुछ फैसलों की समीक्षा की तो वहीं कुछ हाईकोर्ट के फैसलों को भी पलटा।

    साल 2024 अब खत्म होने वाला है, इसी कारण आज हम आपको बताएंगे कि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल कौन से बड़े फैसले सुनाए...

    बिलकिस बानो केस

    सुप्रीम कोर्ट के बड़े फैसलों की शुरुआत जनवरी में बिलकिस बानो केस से हुई। गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो मामले के 11 दोषियों को समय से पहले रिहाई दी थी। 2002 के गुजरात दंगों में बिलकिस बानो के साथ रेप करने और उसके परिवार के 7 लोगों की हत्या के लिए ये सभी दोषी थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार का फैसला पलटते हुए दोषियों की रिहाई को न्याय के खिलाफ बताया था।

    अनुच्छेद 370 की बहाली नहीं 

    सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल अनुच्छेद 370 को लेकर बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने विभिन्न याचिकाओं को खारिज करते हुए फैसला सुनाया कि अनुच्छेद 370 की बहाली नहीं होगी। यह धारा भारत के संविधान में जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा दिलाने के लिए शामिल की गई थी। केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जे एंड के से ये विशेष दर्जा हटा लिया था। कोर्ट ने सरकार के इस फैसले को बरकरार रखा था और अपने दिसंबर 2023 के फैसले की समीक्षा के लिए याचिका खारिज कर दी।

    इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम

    सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल लोकसभा चुनाव से पहले ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केंद्र की इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने इसे असंवैधानिक और मनमाना बताया था। पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 5 सदसीय पीठ ने कहा कि इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है।

    आरक्षण से जुड़ा बड़ा फैसला

    सुप्रीम कोर्ट का आरक्षण से जुड़ा एक बड़ा फैसला भी इसी साल सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जातियों (SC) में भी कुछ अति पिछड़ी जातियां हैं और उन्हें कोटे के अंदर कोटा देना जायज है। कोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जातियों का उपवर्गिकरण सही है। इससे राज्य अपने क्षेत्र में पिछड़ों में से अति पिछड़ों की पहचान करके उन्हें मिलने वाले आरक्षण में से अलग कोटा निर्धारित कर सकते हैं।  

    हर मसले पर आया सुप्रीम फैसला

    • वैवाहिक मामलों में महिलाओं के अधिकार: सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक मामलों में महिलाओं के अधिकारों को मजबूती प्रदान करने वाले कई फैसले सुनाए हैं।
    •  पर्यावरण संरक्षण: सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं, जिनमें प्रदूषण नियंत्रण और वनस्पति विविधता की रक्षा शामिल है।
    •  सामाजिक न्याय: सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक न्याय के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं, जिनमें दलितों और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा शामिल है।
    • व्यावसायिक मामले: सुप्रीम कोर्ट ने व्यावसायिक मामलों में कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं, जिनमें कंपनी कानून और संपत्ति के अधिकारों की रक्षा शामिल है।

    बच्चों पर बनी अश्लील फिल्मों पर कोर्ट का फैसला

    सितंबर में आए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पोर्न पर मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि चाइल्ड पॉर्न देखना और डाउनलोड करना पॉक्सो कानून तथा सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत अपराध नहीं है।

    इस मामले में शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को सलाह देते हुए कहा कि कोर्ट पोस्को मामले में चाइल्ड पोर्न की जगह चाइल्ड सेक्सुअली एब्यूजिव एंड एक्सप्लॉइटेटिव मटीरियल (CSEAM) लिखा जाए। कोर्ट ने ये भी कहा कि चाइल्ड पॉर्न अपने पास रखना और देखना दोनों अपराध हैं।

    बुलडोजर एक्शन पर रोक

    सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाने का काम किया। कोर्ट ने कहा कि 'बुलडोजर जस्टिस' असंवैधानिक और गैर कानूनी है। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों तो दूर की बात यहां तक की दोषियों पर भी बुलडोजर कार्रवाई सही नहीं। कोर्ट ने इसी के साथ कहा कि अवैध निर्माण पर कार्रवाई नियमों के तहत होनी चाहिए, जिसके लिए गाइडलाइन के अनुसार 15 दिन पहले नोटिस देना होगा।

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